tag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post4931693855061883104..comments2023-10-22T06:04:19.615-07:00Comments on एहसास की लहरों पर ....: "साँस अपनी थी धड़कन परायी रही" Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/01229721606335613058noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-1921189124307412822014-09-25T23:59:40.587-07:002014-09-25T23:59:40.587-07:00बेहतरीन रचना बेहतरीन रचना Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16339697343910752802noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-78605259848756792762014-09-24T08:44:51.084-07:002014-09-24T08:44:51.084-07:00सच्चा सुख दुःखके भीतर है कौन इसे समझाये? शरीर दुःख...सच्चा सुख दुःखके भीतर है कौन इसे समझाये? शरीर दुःख रुप है और उसका संसारभी और भीतर जो भगवान है वह है सुख रुप और जो सत्त भी है और उसका नाम सिर्फ आनंद है। जिसका चित इस सत्तमे लगा है वह है सत्त चित आनंद स्वरुप। बाकी योग प्राणायम और ध्यान करते समय कोइ सुखका अनुभव नहि क्युकी हमारा योग संसार और शरीरसे होता है। अनुभव तो वह परमात्मा करवाता है जब दुःख रुपी शरीरसे ध्यान हटके अंदर बैठे ईश्वरमे लगता है। जब अर्जुनसे "भगवान" 'श्री' "कृष्ण" कह रहे थे तेरा मन बुध्धि मुजमे लगा तब यही मतलब निकलता है के शरीर जड, मन और बुध्धिभी जड है तेरा है यह जड साधन तु एक चेतन है॥ इस जड मे अस्तीत्व तेरा है एक और तेरे शरीरको तु चला रहा पर आधार एक मेरा(परमात्माका) है। भगवान जीसका रुप है हि नही पर बस जो चाहे रुप बनालो जैसी तुम्हारी "श्रधा", श्री 'शक्ति' है और शक्तिको जो "कर्म कौशल"मे वापरता है मुजमे मन बुध्धिको जोडके वह फिर उसिको भगवानका नाम दे देते है। बाकी बचा बाहरका रूप जीसे शरीर कहते है तो वह है मट्टीमे मिलने वाला और दुःख रुपसे लोग इसे जानते है, सुख रूप तो जिसको अंदर बैठे परमात्माका साक्षातकार हुवा उसके लिये जो अपनेको चेतन स्वरुप जानते है और जो शरीरको जीतेजी मनसे त्याग देते है और ध्यान एकहि परमात्ममे जोडे रखते है अंतिम सांस तक।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02057588181456382402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-24817817032350974752014-09-24T02:12:28.948-07:002014-09-24T02:12:28.948-07:00गैरो से मिलता रहा तिलासा मुझे
अफ़सोस अपनों से '... गैरो से मिलता रहा तिलासा मुझे<br />अफ़सोस अपनों से 'श्लोक' ठुकराई रही<br /><br />शिकवा भी तब हमें जायज़ न लगा<br />देखा जब अंधेरो में गुम परछाई रही<br /><br />खुदा ने भी अक्सर नज़रअंदाज़ किया<br />जाने क्या मेरी ख्वाइश में बुराई रही ?<br /> बहुत बढ़िया ! लेकिन शायद तिलासा नहीं दिलासा होता है परी जी ! Yogi Saraswathttps://www.blogger.com/profile/17101659017154035233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-32047185838488778242014-09-23T12:48:03.050-07:002014-09-23T12:48:03.050-07:00सुन्दर प्रवाह है भावनाओं का इस रचना में.सुन्दर प्रवाह है भावनाओं का इस रचना में.ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-41543591717640634752014-09-23T00:27:00.645-07:002014-09-23T00:27:00.645-07:00अभिव्यक्ति लाजवाब है.... गजल लिखने का प्रयास सराहन...अभिव्यक्ति लाजवाब है.... गजल लिखने का प्रयास सराहनीय है... अब जल्दी से बह्र भी सीख लें तो चार चांद लग जाये... !!! :)विशाल चर्चित (Vishal Charchit)https://www.blogger.com/profile/11649442567545680984noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-61110456859190116932014-09-22T23:41:24.585-07:002014-09-22T23:41:24.585-07:00Dil ko chu liya yrDil ko chu liya yrAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/13419279876913401035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-19930213775958700972014-09-22T18:44:27.009-07:002014-09-22T18:44:27.009-07:00परी जी क्या खूब लिखती हैं आप परी जी क्या खूब लिखती हैं आप mohan intzaarhttps://www.blogger.com/profile/01892478820687714901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-66190155682893559822014-09-22T12:10:50.915-07:002014-09-22T12:10:50.915-07:00lajawab.lajawab.Anuraghttps://www.blogger.com/profile/00739671008619934951noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-85124758270776191572014-09-22T11:56:29.041-07:002014-09-22T11:56:29.041-07:00सुंदर रचना , धन्यवाद !
Information and solutions i...सुंदर रचना , धन्यवाद !<br /><a href="http://www.samadhaaninhindi.blogspot.in/" rel="nofollow">Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )</a>आशीष अवस्थीhttps://www.blogger.com/profile/05326902845770449131noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-26246835840882871432014-09-22T09:02:09.872-07:002014-09-22T09:02:09.872-07:00आपने बहुत सुनदर अभिव्यक्ति दी है।आपने बहुत सुनदर अभिव्यक्ति दी है।Amit Jainhttps://www.blogger.com/profile/00071510712623743239noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-50770861256297084422014-09-22T05:20:49.904-07:002014-09-22T05:20:49.904-07:00बहुत खूब
जिंदगी की यही बस कमाई रही
साँस अपनी थी ध...बहुत खूब <br />जिंदगी की यही बस कमाई रही<br />साँस अपनी थी धड़कन परायी रही<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14500351687854454625noreply@blogger.com