tag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post942302190406842515..comments2023-10-22T06:04:19.615-07:00Comments on एहसास की लहरों पर ....: मेरी जिंदगी के डायरी से ...आखिर चोर कौन था ?Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/01229721606335613058noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-41110086525393419402014-11-17T12:24:07.695-08:002014-11-17T12:24:07.695-08:00खूबसूरत अंदाज़।खूबसूरत अंदाज़।अभिषेक शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/06009944798501737095noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-769955569763651122014-11-16T21:21:20.713-08:002014-11-16T21:21:20.713-08:00परी जी आदाब एक मुद्दत बाद किसी गध्य पर मेरा ध्यान ...परी जी आदाब एक मुद्दत बाद किसी गध्य पर मेरा ध्यान आकर्षित हुआ है....अमूमन मैं घध्य को नज़र-अंदाज़ ही करता हूँ क्यूँ की मेरा ध्यान सिर्फ आवर सिर्फ पद्य पर ही जियादा होता है वक़्त ही नहीं मिलता इसके इलावा कुछ आवर भी अपने दुसरे पसंद देख सकूं |....आपकी ये मीठी सी दर्द लिए ये लघुकथा जो शायद आपकी अपनी कहानी थी ...इसके हेडिंग पर पड़ी....लफ्ज़ चोर.....ने आकर्षित किया और दूसरा कारण जिसकी वजह थी की आप मेरे रेगुलर पाठक भी हैं.....सो आपके इस खूबसूरत मगर दर्द भरे लेख पट नज़र टिक गयी और पढ़ कर मुझे अपना पुराना वक़्त याद आ गया...बहुत से लेख , कहानियाँ , नावल आवर धारावाहिक लिख कर किसी कारण वश सब कुछ त्याग दिया .......सोचता हूँ वो सब धरवाहिक आवर कहानिया एक ब्लाग बनाकर उसमे कलम बढ़ कर दूं...| खैर...वो तो बाद में देखेंगे......<br /><br />आपकी कहानी का मर्म पढ़कर सच में सोच रहा हूँ बहुत अच्छा किया यहाँ रुक कर .....आपके विचार और स्वभाव जान्ने का मौका मिला | बहुत अच्छा कह लेती हैं आप.....आपकी लेखनी सशक्त तरीके से चलने में हिच्कचाती नहीं.....बहुत ही ओरिजिनल मर्म दिया आपने......|<br /><br />कहानी का ध्येय आवर विचार पूर्णतया स्पष्ट कर दिया.....इस लेख पर मेरी जानिब से ढेरों बधाई |Harash Mahajanhttps://www.blogger.com/profile/17431155483774376440noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-18815164975753021142014-11-16T06:01:08.217-08:002014-11-16T06:01:08.217-08:00बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
--
आपकी इस प्रविष्टि् की च...बहुत सुन्दर प्रस्तुति।<br />--<br /> आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (17-11-2014) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow"> "वक़्त की नफ़ासत" {चर्चामंच अंक-1800} </a> पर भी होगी।<br />--<br />चर्चा मंच के सभी पाठकों को<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-11595969462274605042014-11-15T17:46:22.864-08:002014-11-15T17:46:22.864-08:00डायरी लिखने का शौक हर बच्चे को होता है अपनी किशोरा...डायरी लिखने का शौक हर बच्चे को होता है अपनी किशोरावस्था में ! डायरी में लिखना और सबसे छिपा कर रखना, खो जाने पर बेचैन होना ये सारी बातें कॉमन सी लगती हैं ! सुन्दर संस्मरण ! Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-7744747358102069702014-11-15T14:57:14.608-08:002014-11-15T14:57:14.608-08:00
दिल पे सब लिखा होता है डायरी तो रिहर्सल है है कोई...<br />दिल पे सब लिखा होता है डायरी तो रिहर्सल है है कोई मामा या उसका भी फूफा जो दिल पे लिखा मेट दे। बेहतरीन संस्मरण परी कथा सा। एक से दूसरी परी की बात। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-23955029053741702482014-11-13T09:24:44.966-08:002014-11-13T09:24:44.966-08:00बचपन की बातो को डायरी में लिखना और कुछ सालो बाद उस...बचपन की बातो को डायरी में लिखना और कुछ सालो बाद उसको पलटकर पड़ना एक सुखद अहसास होता है Manoj Kumarhttps://www.blogger.com/profile/16191596962503653854noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-61610102334059275182014-11-13T06:12:12.290-08:002014-11-13T06:12:12.290-08:00बहुत ही अच्छा और सराहनीय रहा अपनी आत्मकथा के एक अं...बहुत ही अच्छा और सराहनीय रहा अपनी आत्मकथा के एक अंश का बयान !!!विशाल चर्चित (Vishal Charchit)https://www.blogger.com/profile/11649442567545680984noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-32415616811268727682014-11-12T23:17:30.800-08:002014-11-12T23:17:30.800-08:00आदरणीय परी जी, कहानी का अंत समझ नहीं आया? वैसे कभ...आदरणीय परी जी, कहानी का अंत समझ नहीं आया? वैसे कभी-कभी कथा में, कोई ऐसा सन्देश होता है, जिसे पाठक ठीक से समझ नहीं पाते! धन्यवाद!<br /><a href="http://jyotesh.blogspot.in" rel="nofollow">धरती की गोद</a>Sanjay Kumar Garghttps://www.blogger.com/profile/08988808407565402708noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-23932436841632360822014-11-12T16:55:27.772-08:002014-11-12T16:55:27.772-08:00उम्दा आलेख उम्दा आलेख Asha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-35257561962253821542014-11-12T12:30:27.531-08:002014-11-12T12:30:27.531-08:00बहुत सुंदर :) आखिरी अंश तक बान्धे रखा, आपके लेखन ...बहुत सुंदर :) आखिरी अंश तक बान्धे रखा, आपके लेखन और डायरी दोनों ने :)Sandeep Jaiswalhttps://www.blogger.com/profile/06209549479814991167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-69320169712228760332014-11-12T08:55:04.147-08:002014-11-12T08:55:04.147-08:00कोई नहीं बहुत कुछ फट जाता है जिंदगी सिल देती है कु...कोई नहीं बहुत कुछ फट जाता है जिंदगी सिल देती है कुछ नहीं सिल पाती फटा रह जाता है लिखने वाले कहाँ रुकते हैं उनसे कौन सा रुका जाता है फटे पर ही लिखना शुरु :) वो डायरी पढ़ने के लिये ले गये थे वैसे तो परी जी उनको पढ़ने नहीं देती :)सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-24239141997202461672014-11-12T03:17:06.158-08:002014-11-12T03:17:06.158-08:00शुरुआत बहुत सुंदर, उत्सुकता जगाती हुई पर अंत अधू...शुरुआत बहुत सुंदर, उत्सुकता जगाती हुई पर अंत अधूरा सा रहा ....... आखिर क्यों वे ले गए थे diary :)Neeraj Neerhttps://www.blogger.com/profile/00038388358370500681noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-48334939546467485682014-11-12T02:31:35.301-08:002014-11-12T02:31:35.301-08:00Mujhe iske age janne ki ichha hai ki wo aisa q kar...Mujhe iske age janne ki ichha hai ki wo aisa q karte the..waise aapne achha likha hai.रश्मि शर्माhttps://www.blogger.com/profile/04434992559047189301noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-76705678751630137232014-11-11T22:34:37.458-08:002014-11-11T22:34:37.458-08:00सोचता था कि आप कविता शायरी इत्यादि बहुत सुंदर लिखत...सोचता था कि आप कविता शायरी इत्यादि बहुत सुंदर लिखती हैं आज पता चला आप कहानी भी बहुत खूब बयां करती हैं ....बधाई mohan intzaarhttps://www.blogger.com/profile/01892478820687714901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-82596504219172357222014-11-11T22:26:37.444-08:002014-11-11T22:26:37.444-08:00राज को राज रहने दो !राज को राज रहने दो !Yogi Saraswathttps://www.blogger.com/profile/17101659017154035233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1651952751969438994.post-5905868264191957322014-11-11T22:11:25.740-08:002014-11-11T22:11:25.740-08:00ऐसा लड़के भी झेलते है परी जी।
कारण हो सकता है अलग ...ऐसा लड़के भी झेलते है परी जी।<br />कारण हो सकता है अलग हो।मैंने इसलिए झेला, घरवाले सोचते थे कही पढ़ाई से दूर न हो जाऊँ ।<br /> तब अच्छा नहीं लगता था पर अब उनकी हर झीडक पर प्यार आता है।<br /> काफी खुबसूरती से उतारा है आपने घटना को।Anil Dayama EklAhttps://www.blogger.com/profile/10255602858769771105noreply@blogger.com