Wednesday, April 1, 2015

कि शायद आज मेरा दिल टूटा है


हर मंज़र का मिज़ाज़ कड़वा है
कुछ धुंधलाई सी है ज़िन्दगी
आज न तू नज़र आया मुझे
और न तेरे आँखो में कहीं मैं दिखी
ख़्वाबों के चेहरे का रंग उड़ गया 
हकीकत ने घूर कर कुछ यूँ देखा 
ये आसमान भी आज नीला नहीं
रात सितारों की गुफ़तगू भी नहीं
आज जाने क्यों इतना सन्नाटा है
मानिंद मातम मना रहा है कोई
खिलौना ज़ज़्बात का यहाँ-वहाँ बिखरा है
कोई जिद्दी बच्चा बे-सबब रूठा है  

कि शायद आज मेरा दिल टूटा है !!  

 _____________
© परी ऍम. 'श्लोक'

14 comments:

  1. Beautiful expressions..and I can almost feel the pain..
    You are gifted with words Pari :)

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  2. दिल टूटने से थोड़ी तकलीफ तो हुई ।
    लेकिन तमाम उम्र का आराम आगया ।
    ============================
    परी जी दर्द को बहुत अच्छी रचना में ढाल दिया है आपने

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  3. दिल टूटने से थोड़ी तकलीफ तो हुई ।
    लेकिन तमाम उम्र का आराम आगया ।
    ============================
    परी जी दर्द को बहुत अच्छी रचना में ढाल दिया है आपने

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  4. टूटे दिल को थाम लो
    बक्त मेहरबां होके फिर से लौटेगा

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  5. बहुत खूब परी जी।

    सादर

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  6. सुंदर ।

    फैवीकौल है ना :)

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  7. खिलौना ज़ज़्बात का यहाँ-वहाँ बिखरा है

    कोई जिद्दी बच्चा बे-सबब रूठा है

    वाह बहुत खुब।
    दर्द का एहसास।
    बधाई परी जी।

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  8. कि शायद आज मेरा दिल टूटा है !!....और आप का अंदाज़ अनूठा है ...सादर

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  9. गहरा एहसास ... बचे का रूठना और दिल का टूटना ... भोलेपन की न उम्मीदी ही तो है ...
    बहुत खूब ..

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  10. सुन्दर कविता !

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  11. हर मंज़र का मिज़ाज़ कड़वा है
    कुछ धुंधलाई सी है ज़िन्दगी
    आज न तू नज़र आया मुझे
    और न तेरे आँखो में कहीं मैं दिखी
    ख़्वाबों के चेहरे का रंग उड़ गया
    हकीकत ने घूर कर कुछ यूँ देखा
    ये आसमान भी आज नीला नहीं
    रात सितारों की गुफ़तगू भी नहीं
    आज जाने क्यों इतना सन्नाटा है
    मानिंद मातम मना रहा है कोई
    खिलौना ज़ज़्बात का यहाँ-वहाँ बिखरा है
    कोई जिद्दी बच्चा बे-सबब रूठा है

    कि शायद आज मेरा दिल टूटा है !
    बहुत गहरे एहसास और उतनी ही गहरे शब्द !

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  12. ये आसमान भी आज नीला नहीं
    रात सितारों की गुफ़तगू भी नहीं
    आज जाने क्यों इतना सन्नाटा है
    अति सुन्दर दर्द की तस्वीर और आईना

    मानिंद मातम मना रहा है कोई
    खिलौना ज़ज़्बात का यहाँ-वहाँ बिखरा है
    कोई जिद्दी बच्चा बे-सबब रूठा है

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  13. आज न तू नज़र आया मुझे
    और न तेरे आँखो में कहीं मैं दिखी
    ख़्वाबों के चेहरे का रंग उड़ गया
    हकीकत ने घूर कर कुछ यूँ देखा
    ये आसमान भी आज नीला नहीं
    रात सितारों की गुफ़तगू भी नहीं
    आज जाने क्यों इतना सन्नाटा है
    सुन्दर अभिव्यक्ति ये सिलसिले चलते रहते है और ग़ज़ल गीत गुनगुनाते रहते है ..बधाई

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  14. सुन्दर रचना

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