Tuesday, January 27, 2015

शक्ल


12 comments:

  1. सार्थक प्रस्तुति।
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (28-01-2015) को गणतंत्र दिवस पर मोदी की छाप, चर्चा मंच 1872 पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. जो पहले था वह भी जिंदगी का हिस्सा था,जो अब है वह भी जिंदगी का हिस्सा है।

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  3. आपके शब्दों में जिंदगी के विभिन्न रूपों की सुन्दर व्याख्या होती है परवीन जी , और ये शब्द स्वतः ही आकर्षित करते हैं ! बेहतरीन

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  4. समय-समय की बात है ! जो मिल गया उसीको मुकद्दर समझ लिया ! बहुत आत्मीय से मिलते जुलते अहसास !

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  5. परी जी यथार्थ दर्शाती बेहद सुंदर रचना ...

    अँधेरे आते हैं बेशक...
    मगर सवेरा होने में भी देर नहीं होती....

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  6. बहुत सुन्दर भाव लिए अनुपम रचना...... बेहद उम्दा और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@मेरे सपनों का भारत ऐसा भारत हो तो बेहतर हो

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  7. सार्थक प्रस्तुति।

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  8. पर आइना तो सच कहता है ... नज़रों का धोखा न हो ये ...
    बेहतरीन प्रस्तुति ...

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  9. कल 01/फरवरी /2015 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

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  10. sach kaha pari ji.......bahut baar aisa mehsus hota hai....umda prastuti

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