
अभी रुको
ज़रा मोहलत दो हमें
दिल को मनाने दो
रूह को बुझाने दो
कह दूँ उन्हें
कमरा खाली करें
सामान ले जायें अपना
न परछाई छोड़े
न निशान कोई
न ही कमी अपनी
ज़रा मोहलत दो हमें
दिल को मनाने दो
रूह को बुझाने दो
कह दूँ उन्हें
कमरा खाली करें
सामान ले जायें अपना
न परछाई छोड़े
न निशान कोई
न ही कमी अपनी
अभी ज़रा वक़्त दो
अभी इन दीवारो से टकराएं है
बेहद चोट खाएं है
ज़रा संभलने दो
उठ के चलने दो
जो उसने अज़ाब दिए हैं
अश्क-ए-तेज़ाब दिए हैं
उससे शफा पाने दो
दर्द से निकल जाने दो
हम यकीनन फिर से सौदा करेंगे
हर रस्मे निभाएंगे
घर भी बसाएंगे
सुनेंगे तुम्हारी भी
करेंगे तुम्हारी भी
फिर
जिंदगी से हाथ मिलाने की कोशिश करेंगे
हर एक शर्त निभाने की कोशिश करेंगे
मगर
दरख्वास्त है इतनी
यादो को मिटाने के लिए
उनको भूल जाने के लिए
ज़रा...... वक़्त दो !!
___________________
© परी ऍम 'श्लोक'