Sunday, November 9, 2014

विश्वास.....


प्रेम के देसी घी में
कितनो ही
क्यूँ न तड़का जाए..

किन्तु
विश्वास की कमी
रिश्तो के पकवान में
नमक की तरह होता है
जिसकी मात्रा कम होने पर
या फिर न होने पर
रिश्तो का स्वाद
अक्सर
बिगड़ जाया करता है !!

 
____________________
© परी ऍम 'श्लोक' 

7 comments:

  1. सच कहा है विश्वास ही आधार है ...

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  2. सरल एवं प्रभावी शब्द , परी जी

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  3. विश्वास को जो आसरा चाहिए वो मिलता ही कहाँ है....
    वो कल भी दीमक लगे आशियानो मे था और आज भी।
    ढह जाते है बस।
    सच कहा आपने ।

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  4. बिलकुल सच कहा आपने !

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