पुरुष
बल के दम पे श्रेष्ठ बनता है
और
नीचता
की सारी हद पार कर जाता है
जिसे
वो पुरुषार्थ कहता है
और
स्वार्थ में अन्धा हो जाता है
असल
में वो उसकी कायरता का
सबसे
बड़ा नमूना है
जिसे
सिर्फ छीनना झपटना ही आता है
मुझे घृणा है ढोंगी समाज की सोच से
जो
मर्यादा में सिर्फ औरत को बांधता है
दोष
मढ़ता हैं हर बार
सिर्फ
और सिर्फ औरत पर
कभी
जीन्स को वजह बनाकर
कभी
रात को घर से निकलने को अपराध
घोषित करके
इनके
कटघरे में सिर्फ औरत को खड़ा
किया जाता है
मेरे
देश में कानून
को शोपीस की तरह
बना
कर रख दिया गया हैं
हर
अपराध के बाद
इसे
पॉलिश ज़रूर कर दिया जाता है
लेकिन
इसके पुतले से काली
पट्टी नहीं उतारी जाती
नहीं
जागता कानून सबूतो
का पानी उड़ेलने पर भी
प्रत्यक्ष
को प्रमाणित करना पड़ता है
उसके
बावजूद भी कोर्ट
में अटके पड़े रहतें है फैसले
न्याय
की उम्मीद में इंसान
दम तोड़ देता है
इंतज़ार
की अवधि कम
नहीं होती
उसकी
कई पुश्ते बीत जाती हैं
फाइलें
धूल चाटती हैं
इन्साफ
अपने अस्तित्व को रोता है
मेरे
देश में स्वछता
अभियान के लिए
मंत्री...महामंत्री
सड़क पर झाड़ू लेकर
ज़रूर
उतर जातें है
लेकिन
काली गन्दी मानसिकता को
साबुन
और ब्रश मार कर नहीं साफ़ किया जाता
इंसानियत
की वाशिंग मशीन में
कोई
नहीं धोता अपना गन्दापन
मेरे
देश में
लोग
झंडे लेकर बाद में प्रदर्शन तो करते है
लेकिन
खून से लथपथ सड़क के किनारे पड़ी
बेटी
की मदद के लिए कोई आगे नहीं आता
लोग
आतें है देखते हैं और गुज़र जातें है
चीख
सुनकर कन्नी काट जातें है
उसे
पागल बता कर पल्ला झाड़ लेते है
लेकिन
नहीं झकझोरता इनको इनका ज़मीर
यहाँ
नीलाम होती हैं बेटियां..
घरेलु
हिंसा की शिकार होती हैं बेटियां
बचपन
लूट लिया जाता है यहाँ
जबरन
किसी की हवस में गिरफ्तार होती है बेटियां
नहीं
उठते रक्षा के लिए इन दुरुस्त विकलांगो के हाथ तब
सच
ये है कि
दोषी
हैं सब के सब तुम्हारी निर्मम हत्या के
उन
लोगो ने मारा है तुम्हे
जो
चुप रहते हैं अपराध के बाद
यदि
विरोध पहले से ही हुआ होता तो
आज
तुम हमारे बीच होती निर्भया
उन
लोगो ने मारा है तुम्हे जो तुम्हे देखकर
आराम
से अपनी मंज़िल को रुक्सत हो गए
एक
बार भी नहीं जागी उनकी
मानवता..उनका ज़मीर
नहीं
मालूम की उन्हें
महसूस
होता भी होगा की नहीं अपना गुनाह
लेकिन
मैं शर्मसार हूँ इस पापी समाज का अंश बनकर
जिन
कोढ़ियों की बलि चढ़ती है
आय
दिन तुम्हारी जैसी बेटियां..
मेरे
देश की कमज़ोर व्यवस्था के लिए
तुम्हारी
इस दुर्दशा के लिए
मैं
माफ़ी चाहती हूँ निर्भया.......मैं माफ़ी चाहती हूँ !!
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© परी ऍम. 'श्लोक'