Friday, February 28, 2014

कुछ पंक्तियाँ बस यूँ ही


1)  हमारे मुक़ाम के पते गवा गए
हम जहाँ से चले थे वही को आ गये
 
2) अपने गिरेहबान में भी झाँका करो कभी-कभी
किसी दूजे पर गर्द झाड़ देना असां बहुत होता है
 
3) हमने भी आज इतना साहस जुटा लिया है
किसी हकीकत से न मुकरेंगे वादा रहा अपना
 
4) नजाने क्यूँ लोग इसकदर कतराते है
दिल कि बात जुबां पर बड़ी मुश्किल से लाते हैं
 
5) जहान भर में नज़र आयी मुझे उदासी है
कोई दिखे बिना गम के ये दीद प्यासी है
 
6) घरती कि घुटन और तड़पता आसमान देखा
खुद के गम से ज्यादा मैंने शहर में गमज़दा देखा
 
7) निखरे चेहरो के फीके जस्बात देखे हैं
इंसान इस शहर में कई बेऔकात देखे हैं
 
8) फिरता रहा दिन भर ख्याल बेसुरूर था
आंधियो ने क्यूँ घर गिराया मेरा मैं तो बेक़सूर था
 
 
9) मेरी सोच से अक्सर ही जुदा होता है
ये मेरा दिल जो सीने में छिपा बैठा है

10) आज तेरा जिक्र मेरे ख्यालो ने किया मुझसे
फिर आंसू निकल पड़े सब्र का बाँध तोड़ कर


11) ये सोच कर नींदे अंधेरो में टहलने चली गयी
 शायद किसी मोड़ पर तुम्हारा दीदार हो जाए

12) दिल कि वीरानियो में भी साया जिसका मौजूद रखा
वो तुम ही हो जो मुझे मुकम्मल करने आया है

13) तुममे हैं वही बाते, वही लहज़ा, वही चाहत, वही अदा
मुद्दत से जिसको मैंने अपनी सोच से सजाया है

14) यूँ तो कुछ मुश्किल नहीं था
जब तलक तू जिंदगी नहीं था
तेरे सिवा है आसान सब मगर
तुझे भूल पाना कभी मुमकिन नहीं था

15) आलम-ए-तन्हाई ने जब लबो से तेरा नाम दिया
मैं भी क्या करती बेसब्र धड़कन को थाम लिया

16)मेरी ख्यालो ने हर शब गुफ्तगू किया
तुम्ही को चाहा और तुम्हारी आरज़ू किया

17) छत की ऊंचाइयों से दुनिया देखने वालो
इक बार सोच की बुलंदियों से दुनियाँ देख कर देखो !!

18) आँखों आँखों में नया अफ़साना बन जाने दो
तुम्हारे दिल को मेरा पता-ठिकाना बन जाने दो

19) तेरे आने न आने से फर्क क्या पड़ता है
तेरी उम्मीद मरी हुई है मुझमे बस तू जिन्दा है
 
 20) शायद! किसी जानवर ने वैहशियत यूँ की होगी
जो हश्र यहाँ आदमी ने आदमी की होगी

21) माँ का दिल दुःखा के जिसने भी पाप कमाया है...
उस पाप को धोने का कहीं गंगाजल नहीं मिलता
आँचल में बहार है सकूँ है ठंडक है कितना 'श्लोक'
भटके कितना भी कोई फिर ये मौसम नहीं मिलता

22) सपने नींद के हाथो से छूट गए
फिर क्या गिरे और गिर के टूट गए

23)

तुम थे या कोई ख्याल था मेरा
तुम्हे सुना तो दिल गुनगुनाने लगा
आसमा के सारे सितारो को चुनकर
तेरी तस्वीर फिर से सजाने लगा

24) मैं सज़दे में जब भी सर झुकाऊँगी
दुआ करुँगी कि तुझे कोई गम न हो

25) उजली शाम के खातिर सितारा चुनती हूँ
कभी तुझे.. कभी तेरा अफसाना.. बुनती हूँ

26) ख्वाबो के गर्द मेरे पलकों से झड़ जाने दो
हकीकत से रुबरु हो मुझे और निखर जाने दो 

27) चुका कर कीमत साँसों की जिंदगी खरीदती गयी
मोहोब्बत सेत में मिली फिर भी संभाली न गयी

28) रुस्वा हो खफा हो क्या हो
जाओ खुश रहो तुम जहाँ हो
मिलेगा क्या फेरबदल करके बातो में
तुम कहो कि मैं बेवफा हूँ
मैं कहूँ कि तुम मेरी खता हो !!
 
शायरा : परी ऍम 'श्लोक'

1 comment:

  1. अपने गिरेहबान में भी झाँका करो कभी-कभी
    किसी दूजे पर गर्द झाड़ देना असां बहुत होता है।
    बहुत अच्छा ।

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