तुम्हे पढ़ा तो
ख्याल आया कि.....
________________________
ख्याल आया कि.....
सफर
कितना
आसां हो जाता
इक
हमसफ़र
तुमसा......
अगर
होता तो
अच्छा
था
कोई
होता
जो
लिखता नज़्म..
कविता..अशआर..
मेरी
याद में
कोई
प्यार भरे
गीतों
से
मुझे
भिगोता तो
अच्छा
था
कोई
रात
मेरे
लिए जागता
और
मेरे ही सपने
सजोता
तो
अच्छा
था
मेरी
खामी में
खूबियों
की चमक
तलाश
लेता
कोई
कोयले से
कोहनूर
बना देता
तो
अच्छा था
मुझे
जुबां की
तकल्लुफ
न देता
कोई
नज़रो कि बात
नज़रो
से ही
समझ
लेता तो
अच्छा
था
किसी
की
महफ़िल
हमी
से होती
कोई
मेरे बिना
तनहा....
अगर
होता तो
अच्छा
था
मेरी
दुनियाँ में भी
तुम
जैसा कोई
होता
तो
अच्छा
था !!
________________________
© परी ऍम. 'श्लोक'
(इमरोज़ जी को पढ़ने के बाद ..मुझे ये ख्याल आया...!! )