इंसानियत भिखारी हो गयी है.....
गुनाहो की मदारी हो गयी है.....
नहीं दिखता चेहरा किसी का साफ़...
निगाहो की लाचारी हो गयी हैं.....
बिकने लगे हैं लोग यहाँ बात-बात पे
पैसो से वफादारी हो गयी है....
झूठ की नौकरी करने वाले सब हैं...
सच की तो बेगारी हो गयी हैं....
अपने स्वार्थ में अंधे हुए लोगो कि...
अपने ही फ़र्ज़ से गद्दारी हो गयी है...
सोशल नेटवोर्किंग साइट्स पर सब व्यस्त हैं..
कि अब रिश्तो से मगझमारी हो गयी हैं...
उजालो कि ओर जाते ख्वाइशों के खातिर...
हर गली खुशियो कि अंधियारी हो गयी हैं...
नफरतो का साथ उम्र भर निभाया गया..
मोहोब्बत से जिनाकारी हो गयी है...
ईर्ष्या कि बलि चढ़ रही है जिंदगी...
हर हाथ में कटारी हो गयी है....
---------------परी ऍम 'श्लोक'
गुनाहो की मदारी हो गयी है.....
नहीं दिखता चेहरा किसी का साफ़...
निगाहो की लाचारी हो गयी हैं.....
बिकने लगे हैं लोग यहाँ बात-बात पे
पैसो से वफादारी हो गयी है....
झूठ की नौकरी करने वाले सब हैं...
सच की तो बेगारी हो गयी हैं....
अपने स्वार्थ में अंधे हुए लोगो कि...
अपने ही फ़र्ज़ से गद्दारी हो गयी है...
सोशल नेटवोर्किंग साइट्स पर सब व्यस्त हैं..
कि अब रिश्तो से मगझमारी हो गयी हैं...
उजालो कि ओर जाते ख्वाइशों के खातिर...
हर गली खुशियो कि अंधियारी हो गयी हैं...
नफरतो का साथ उम्र भर निभाया गया..
मोहोब्बत से जिनाकारी हो गयी है...
ईर्ष्या कि बलि चढ़ रही है जिंदगी...
हर हाथ में कटारी हो गयी है....
---------------परी ऍम 'श्लोक'
आप शब्दों की लड़ियाँ बहुत खूबसूरत पिरोती हैं !
ReplyDeletebehad sundar.....sach kaha aapne bilkul
ReplyDeleteBahut bahut shukriyaaaa......
ReplyDeleteक्या बात है
ReplyDeleteसोशल नेटवोर्किंग साइट्स पर सब व्यस्त हैं..
ReplyDeleteकि अब रिश्तो से मगझमारी हो गयी हैं...
हहहाआआआआ ! बहुत खूब