चुगलखोर व्यक्ति
अक्सर
कायर प्रवृति का होता है
सामने आकर
स्पष्ट रूप से
बात रखने का
साहस नहीं होता उसमे
ऐसे व्यक्ति युद्ध क्षेत्र के
उन लोगो में से होते हैं
जो पीठ पीछे वार करते हैं
ऐसे लोग अपने ही घर में
दीमक से होते हैं
जो सारा सकून चाट जाते हैं
और बाहरवालों के लिए
चटपटी मसालेदार बात पेश
करने का साधन
उनके मुख पे हमेशा
मुस्कराहट होगी
और बातो में
ज़रूरत से ज्यादा मीठापन
किन्तु भीतर कड़वाहट और ईर्ष्या
इनके मीठे स्वभाव की वजह से
कीड़े-मकोड़े जैसे लोग
इनसे चिपकते जाते हैं
अपने आप को अत्यधिक
चतुर समझते हैं
किन्तु मूर्खता का एक
उत्तम उदहारण यही हैं
संकीर्ण मानसिकता के
ऐसे व्यक्ति
अपनी भड़ास
चुगली से निकालते हैं
उनका नितदिन बेकार की
फुसफुसाहट में निकल जाता है
इन लोगो से कान के कच्चे लोग
अत्यधिक नुक्सान पाते हैं
इनके जीवन का लक्ष्य
केवल अपने आपको
कैसे भी संतुष्ट रखना होता है
निरंतर इसी कोशिश में जुटे ये लोग
अपने कीमती समय को
बिना किसी अफ़सोस
धुंए सा उड़ा देते हैं
जो बुद्धि अच्छे कार्यो में
खर्च किया जाना चाहिए
उसे ऐसे ही कुर्बान कर देते हैं
व्यर्थ की वार्तालाप और फुसफुसाहट में !!!
-------------------परी ऍम 'श्लोक'
अक्सर
कायर प्रवृति का होता है
सामने आकर
स्पष्ट रूप से
बात रखने का
साहस नहीं होता उसमे
ऐसे व्यक्ति युद्ध क्षेत्र के
उन लोगो में से होते हैं
जो पीठ पीछे वार करते हैं
ऐसे लोग अपने ही घर में
दीमक से होते हैं
जो सारा सकून चाट जाते हैं
और बाहरवालों के लिए
चटपटी मसालेदार बात पेश
करने का साधन
उनके मुख पे हमेशा
मुस्कराहट होगी
और बातो में
ज़रूरत से ज्यादा मीठापन
किन्तु भीतर कड़वाहट और ईर्ष्या
इनके मीठे स्वभाव की वजह से
कीड़े-मकोड़े जैसे लोग
इनसे चिपकते जाते हैं
अपने आप को अत्यधिक
चतुर समझते हैं
किन्तु मूर्खता का एक
उत्तम उदहारण यही हैं
संकीर्ण मानसिकता के
ऐसे व्यक्ति
अपनी भड़ास
चुगली से निकालते हैं
उनका नितदिन बेकार की
फुसफुसाहट में निकल जाता है
इन लोगो से कान के कच्चे लोग
अत्यधिक नुक्सान पाते हैं
इनके जीवन का लक्ष्य
केवल अपने आपको
कैसे भी संतुष्ट रखना होता है
निरंतर इसी कोशिश में जुटे ये लोग
अपने कीमती समय को
बिना किसी अफ़सोस
धुंए सा उड़ा देते हैं
जो बुद्धि अच्छे कार्यो में
खर्च किया जाना चाहिए
उसे ऐसे ही कुर्बान कर देते हैं
व्यर्थ की वार्तालाप और फुसफुसाहट में !!!
-------------------परी ऍम 'श्लोक'
sarthak rachna
ReplyDeleteचुगुल्खोर इंसान का चित्र खींच दिया आँखों के सामने आपने ... बहुत ख़ूब ..
ReplyDeleteअच्छा लिखा है ।
ReplyDeleteऐसे व्यक्ति
ReplyDeleteअपनी भड़ास
चुँगली से निकालते हैं
उनका नितदिन बेकार की
फुसफुसाहट में निकल जाता है
इन लोगो से कान के कच्चे लोग
अत्यधिक नुक्सान पाते हैं
इनके जीवन का लक्ष्य
केवल अपने आपको
कैसे भी संतुष्ट रखना होता है
एकदम सही ! लेकिन शायद उसे चुगलखोर कहते हैं ?
Bahut bahut aabhar aap sabhi ka .. Yogi ji galati ko bataane ka bahut shukriya...
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