इस सत्य को
बदला नहीं जा सकता
कि तुम और मैं
एक साथ चलते हैं
मैं नदी हूँ तो तुम धारा
मैं जुगनू तो तुम उसका प्रकाश
तुम सेहरा तो मैं प्यास
तुम शब्द तो मैं अभिव्यक्ति
बंधे हैं हम प्रेम कि अदृश्य डोर से
बेशक
तुम्हे ये भीड़ तवज्जु दे
अपने पलकों पर बिठा ले
किसी की भावनाओं के तुम कायल हो जाओ
किन्तु मन के जज़ीरे पर
मेरे उपरांत पनपी वीरानियाँ
समाप्त करने में सदैव असक्षम रहोगे
बिना मेरे तुम्हारा अस्तित्व
उस चाँद की तरह है
जो हज़ारो तारो के बीच
होकर भी एक दम तनहा है
और
मैं वो खायी
जिसमे तुम्हारी कमी से
उपजी हुई गहराई को
कई जनमों तक पाटने के बाद भी
कभी भरा नहीं जा सकता !!
---------------परी ऍम श्लोक
बदला नहीं जा सकता
कि तुम और मैं
एक साथ चलते हैं
मैं नदी हूँ तो तुम धारा
मैं जुगनू तो तुम उसका प्रकाश
तुम सेहरा तो मैं प्यास
तुम शब्द तो मैं अभिव्यक्ति
बंधे हैं हम प्रेम कि अदृश्य डोर से
बेशक
तुम्हे ये भीड़ तवज्जु दे
अपने पलकों पर बिठा ले
किसी की भावनाओं के तुम कायल हो जाओ
किन्तु मन के जज़ीरे पर
मेरे उपरांत पनपी वीरानियाँ
समाप्त करने में सदैव असक्षम रहोगे
बिना मेरे तुम्हारा अस्तित्व
उस चाँद की तरह है
जो हज़ारो तारो के बीच
होकर भी एक दम तनहा है
और
मैं वो खायी
जिसमे तुम्हारी कमी से
उपजी हुई गहराई को
कई जनमों तक पाटने के बाद भी
कभी भरा नहीं जा सकता !!
---------------परी ऍम श्लोक