Wednesday, July 9, 2014

जवानी ने तौफे में सौ बीमारियां दे दी..

जवानी ने तौफे में सौ बीमारियां दे दी ..
इस दिल को नजाने कितनी लाचारियां दे दी..
 
मालूम था कि रास्ता बेहतर है कौन सा..
मगर फैसलों ने ता-उम्र की दुश्वारियां देदी..
 
सपने बहुत खूबसूरत नज़र किये गए हमें..
हकीकत ने दर-दर कि मारा-मारियां दे दी..
 
रातो को बेचैनियाँ दिन को भी नहीं आराम..
हर मौसम में हमें कितनी ही बेक़रारियां दे दी..
 
दर्द के नगमे..........चाहतो के गीत-ग़ज़ल..
इस दौर में मरने मिटने कि तैयारियां दे दी..
 
अब माँ नहीं महबूब का आँचल अच्छा लगता है..
नए ज़स्बातो के ज़ंज़ीरो में गिरफ्तारियां दे दी..
 
सब कुछ लूटा देने के एवज़ में हमें 'श्लोक'..
कुछ पल कि ख़ुशी और चंद खुमारियां दे दीं..
 
हाथो में जिंदगी कि अहली किताब देकर..
नाज़ुक कांधो पे हज़ारो जिम्मेदारियां दे दी..
 

---------------परी ऍम श्लोक

5 comments:

  1. "सब कुछ लूटा देने के एवज़ में हमें 'श्लोक'..
    कुछ पल कि ख़ुशी और चंद खुमारियां दे दीं.."


    वाह बहुत खूब परी जी।

    सादर

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  2. सपने बहुत खूबसूरत नज़र किये गए हमें..
    हकीकत ने दर-दर कि मारा-मारियां दे दी..
    ...वाह...बहुत प्रभावी प्रस्तुति...

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  3. अब माँ नहीं महबूब का आँचल अच्छा लगता है..
    नए ज़स्बातो के ज़ंज़ीरो में गिरफ्तारियां दे दी..
    बढ़िया

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