हाँ ! माना की तुम्हारा चेहरा
उस शायर से मिलता है
जिसने मुझे
मोहब्बत में उम्र-क़ैद दी है
मगर तुम्हारी आँखों में
वफ़ा के वो रंग नहीं
होंटो पे हज़ारों नाम है एक मेरे सिवा
उंगलियों में मुझे छूने की तड़प नहीं
बाहों में मुझे भरने की ख्वाइश भी नहीं
ज़ेहन में कई ख़्याल है हम नहीं
शब न तो तनहा है तुम्हारा
न है तुम्हारी दुनिया वीरानी है मुझ बिन
मैं तुम्हें नहीं जानती
तुम बहुत अज़नबी से हो
देखो !
मैंने बेहद मुश्किल उठाई है
उसके दर तक आने को
हिज्र कैसे गुज़ारा है ये बात न पूछो
बताओ ना ! मुझे
मेरे शायर को तुमने कहाँ छिपा रखा है?
सर्वाधिकार सुरक्षित : परी ऍम. 'श्लोक'
सूरत और सीरत भी मिलनी चाहिए ... वैसे प्रेम वालों की नज़रेंढूंढ ही लेगीं ...
ReplyDeleteआप की तलाश जल्द पूरी हो दुआ है ।
ReplyDeleteसुन्दर रचना बधाई
देखो !
ReplyDeleteमैंने बेहद मुश्किल उठाई है
उसके दर तक आने को
हिज्र कैसे गुज़ारा है ये बात न पूछो
बताओ ना ! मुझे
मेरे शायर को तुमने कहाँ छिपा रखा है?
कहते हैं सच्ची मुहब्बत के लिए दिल में एहसास का होना जरुरी है ! बेहतरीन शब्द परवीन जी
अहसास के बेहतरीन मोती
ReplyDeleteबेहतरीन नज़्म....
ReplyDeleteदिल का आईना देखिये वही कही वो शायर बैठा होगा.
वाह, बहुत खूबसूरत..।। सवाल में ही जवाब छिपा है..।।
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना की प्रस्तुति के लिये बधाई ! सादर
ReplyDeleteअंतर का दर्द बखूबी बयाँ करती बेहतरीन प्रस्तुति !
ReplyDeleteबहुत सुंदर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : बिन रस सब सून
वो जब दिल से दूर हो या पास .. शायरी तो देख बन जाती है..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
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ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट रचना का उल्लेख कल सोमवार (30-03-2015) की चर्चा "चित्तचोर बने, चित्रचोर नहीं" (चर्चा - 1933) पर भी होगा.
ReplyDeleteसूचनार्थ
वाह, बहुत खूबसूरत..।।
ReplyDeleteसुंदर गज़ल
ReplyDeleteजबां तो मिलती है हमजबां नही मिलता!!
ReplyDeleteबेहतरीन नज्म पर बधाई!!
bahut khoob...utkrusht rachna !!
ReplyDeleteBahot hi khubsurat likha gaya
ReplyDeleteबहुत खभसुरत ख़याल
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