Tuesday, June 10, 2014

"टीचर का रुमाल"

याद आई अचानक
उस महकते हुए
सफ़ेद सूती कपड़े कि...

बचपन के भोलेपन में
जान नहीं पायी थी
कि वो महक आई कहाँ से ?
कौन से फूल का
रस निचोड़ा है इसमें..

हर रोज़ प्रयत्न के बाद भी
नहीं आती थी
मेरे हिस्से में वो महक
जाने कितनी बार रगड़ के
धोया करती थी मैं
अपना गुलाबी रुमाल...

उस पल खुश हुई थी मैं
जान गयी थी मैं उसका राज
जब लगी वो शीशी मेरे हाथ .....

ऐसे ही किसी
परफ्यूम में सना था
मेरे टीचर का रुमाल...... !!!!!


Written By : Pari M "Shlok

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