तस्वीर फाड़ी होगी
खत भी जलाया होगा
यकीं है फिर भी वो मुझे भूल न पाया होगा
मेरे जाने के
बाद इतनी खबर
है मुझको
दिन में तड़पा होगा रात
सो भी न पाया होगा
रोज़ मिलते थे छिप-छिप
के जिस बाग़ीचे में
सुबह उठकर फिर वहीं
सैर पर आया होगा
मुझी को तलाशा होगा हर शख़्स के चेहरे में
और नज़र भी मुझी से
उसने चुराया होगा
दिल में दर्द
मचलता होगा तूफ़ानों की तरह
मगर वो ख़ुश है झूठ सबको जताया होगा
जिक्र किया होगा जो किसी ने बातों-बातों में
सूनी आँखों में सौ दरिया उत
र आया होगा
किसी ने पूछ लिया होगा
रोने का सबब जो
बहाना इक वही तिनकें का बनाया होगा
ख़ुदा से जम के हमदम मेरा झगड़ा
होगा
बेरहमी का सर इल्ज़ाम भी
लगाया
होगा
और कहा होगा
कि तेरे दर कभी न आऊंगा
फिर किसी ख़्वाइश पे दामन न फैलाया होगा
मैं याद आई होंगी
बर्दाश्त की हद हुई होगी
होकर बेचैन वो मेरी क़ब्र
तक आया होगा
कितना तनहा है
मुझे रह-रह के बताया होगा
लिपट के कतबे से बहुत
चीखा-चिल्लाया होगा
मैंने महसूस क्या किया
उसपल है बयां मुश्किल
बस इतना जान लो कि
उसके अंगार से आंसू
यूँ गिरे कि मेरी
क़ब्र जल के राख
हो गयी।
______________
© परी ऍम.
"श्लोक"
Wallah :)...... bhavnayo kosajeev kar diya aapne.
ReplyDeletevery nice pariji
ReplyDeleteदिल से निकली है जो
ReplyDeleteदिल तक पहुंची है वो
चित्रकार की पेंटिंग की तरह शब्दों को उकेरा है आपने। लाजवाब!
फिर किसी ख़्वाइश पे दामन न फैलाया होगा
ReplyDeleteमैं याद आई होंगी बर्दाश्त की हद हुई होगी
होकर बेचैन वो मेरी क़ब्र तक आया होगा
कितना तनहा है मुझे रह-रह के बताया होगा
लिपट के कतबे से बहुत चीखा-चिल्लाया होगा
मैंने महसूस क्या किया उसपल है बयां मुश्किल
बस इतना जान लो कि उसके अंगार से आंसू
यूँ गिरे कि मेरी क़ब्र जल के राख हो गयी।
मैं स्वतः ही आ आकर देखता हूँ परी जी ने कुछ लिखा क्या !! बहुत ही शानदार अलफ़ाज़ होते हैं आपके और उसमे भावनाएं जब आप उड़ेल देते हैं तो एक शानदार काव्य बन जाता है !!
बेहद सुन्दर कविता ।शब्द खुद बोल रहे है ।
ReplyDeleteबेहद सुन्दर कविता ।शब्द खुद बोल रहे है ।
ReplyDeleteगहरी नज्म ... दिल के करीब से गुजरती हुयी ...
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