Wednesday, August 19, 2015

तस्वीर फाड़ी होगी खत भी जलाया होगा

तस्वीर  फाड़ी  होगी  खत भी जलाया होगा 
यकीं है  फिर भी वो मुझे भूल न पाया  होगा
मेरे  जाने  के  बाद  इतनी  खबर  है  मुझको 
दिन में तड़पा होगा रात सो भी न पाया होगा 
रोज़ मिलते थे छिप-छिप के  जिस बाग़ीचे में  
सुबह  उठकर  फिर  वहीं  सैर पर आया होगा 
मुझी को तलाशा होगा हर  शख़्स के  चेहरे में 
और  नज़र  भी  मुझी  से  उसने  चुराया होगा  
दिल  में  दर्द  मचलता होगा  तूफ़ानों की तरह  
मगर  वो  ख़ुश  है  झूठ  सबको जताया  होगा   
जिक्र किया  होगा जो किसी ने बातों-बातों में 
सूनी आँखों  में  सौ  दरिया  उत र आया होगा 
किसी  ने  पूछ  लिया  होगा रोने का सबब जो 
बहाना  इक  वही   तिनकें   का  बनाया  होगा  
ख़ुदा  से  जम   के  हमदम   मेरा  झगड़ा  होगा
बेरहमी  का  सर  इल्ज़ाम  भी   लगाया  होगा  
और  कहा  होगा  कि  तेरे दर कभी न आऊंगा 
फिर  किसी ख़्वाइश  पे दामन न फैलाया होगा  
मैं  याद आई  होंगी बर्दाश्त  की हद  हुई  होगी 
होकर  बेचैन वो  मेरी  क़ब्र तक  आया   होगा 
कितना  तनहा  है मुझे रह-रह के  बताया  होगा 
लिपट के कतबे से बहुत चीखा-चिल्लाया होगा 

मैंने महसूस क्या किया उसपल है बयां मुश्किल 

बस इतना  जान लो  कि उसके अंगार से  आंसू 
यूँ  गिरे  कि  मेरी  क़ब्र  जल के  राख  हो  गयी। 
______________ 

© परी ऍम. "श्लोक"  

7 comments:

  1. Wallah :)...... bhavnayo kosajeev kar diya aapne.

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  2. दिल से निकली है जो
    दिल तक पहुंची है वो
    चित्रकार की पेंटिंग की तरह शब्दों को उकेरा है आपने। लाजवाब!

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  3. फिर किसी ख़्वाइश पे दामन न फैलाया होगा
    मैं याद आई होंगी बर्दाश्त की हद हुई होगी
    होकर बेचैन वो मेरी क़ब्र तक आया होगा
    कितना तनहा है मुझे रह-रह के बताया होगा
    लिपट के कतबे से बहुत चीखा-चिल्लाया होगा

    मैंने महसूस क्या किया उसपल है बयां मुश्किल

    बस इतना जान लो कि उसके अंगार से आंसू
    यूँ गिरे कि मेरी क़ब्र जल के राख हो गयी।
    मैं स्वतः ही आ आकर देखता हूँ परी जी ने कुछ लिखा क्या !! बहुत ही शानदार अलफ़ाज़ होते हैं आपके और उसमे भावनाएं जब आप उड़ेल देते हैं तो एक शानदार काव्य बन जाता है !!

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  4. बेहद सुन्दर कविता ।शब्द खुद बोल रहे है ।

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  5. बेहद सुन्दर कविता ।शब्द खुद बोल रहे है ।

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  6. गहरी नज्म ... दिल के करीब से गुजरती हुयी ...

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