Thursday, August 28, 2014

इन रिश्तो में...


इन रिश्तो में खींचातानी है
इन रिश्तो में बेईमानी है
इन्ही रिश्तो की मण्डी में
हर आँख में भरा सुनामी है
इन रिश्तो से मैं क्या माँगू?
हर इच्छा पर बदनामी है
रिश्तो का दम भर भर के
करते हरदम मनमानी हैं
रिश्तो की इस रासलीला में
कहीं राधा कही मीरा दीवानी है
रिश्तो के इस कुरुक्षेत्र क्षेत्र में
अपनों ने अपनों से ठानी है
दिल में खंज़र जितना तेज़
उतनी ही मीठी इनकी बानी है  
खून का रिश्ता यूँ खून पिए हैं
जैसे दरिया का बहता पानी है
हिस्से में आएगी दो गज ज़मीन
फिर भी चाहत आसमानी है
इक दूजे के सीने पर चढ़ कर
सबको बिल्डिंग बनवानी है
पैसे पैसे का नाम जपे हैं
प्रेम की तिजोरी खाली है
करके बेटी का सौदा कहीं पर
फिर बाप ने दारु पी जानी है
साथ जन्मो का वादा करके
साथ दिन में आफत आ जानी है
मुझसे वफ़ा की बात न कर
ये बाते तो सदियों पुरानी है
रिश्तो की ये दशा देख कर
मुझमे पल पल बढ़ती हैरानी है 
इन रिश्तो में भी चैन नहीं
इनके बिना भी दुनिया वीरानी है


_____________परी ऍम 'श्लोक'

9 comments:

  1. सार्थक अभिव्यक्ति, सुंदर रचना ।

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  2. सुंदर रचना ।सार्थक अभिव्यक्ति

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  3. लाज़वाब...एक एक पंक्ति जीवन के यथार्थ का सटीक चित्रण करती....

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  4. बहुत सुंदर और सटीक

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  5. सुंदर सार्थक और यथार्थ अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई - लक्ष्मण रामानुज लडीवाला, जयपुर

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  6. रिश्ते नजदीकियां भी लाते हैं,तो दरकने पर दूरियां भी बढ़ा देते हैं ,पर करे भी क्या कोई ? इनके बिना काम भी नहीं चलता

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  7. Rishton ki vadiyon mein gaharai hi sahi
    unki ujadata to man ki khamoshiyon mein hai
    zara ashk bhar le naynon mein tarangon ke
    khushiyon ki mahak to pyar bhare gluon se hai!

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