Friday, September 19, 2014

"अशआरों से मुकम्मल ग़ज़ल बन गयी"



लव्ज़ जुड़ते गए अल्फ़ाज़ बनते गए
अशआरों से मुकम्मल ग़ज़ल बन गयी
चाँद तारा लिखा फूल पंखुड़ियाँ लिखी
लो मेरे महबूब कि शकल बन गयी
काली घटायें लिखी नीला समंदर लिखा
उस हसीना कि कातिल नज़र बन गयी
बदलो का गर्जना हवाओ का सरसराना
उर्फ़ तौबा ये तो उनकी धड़कन बन गयी
बूँद फिसली ही थी ख्यालो के पात से
उनकी रेशम सी पतली कमर बन गयी
मैंने छींटे दो चार रंगो के मारे
उनकी सतरंगी चुनर बन गयी
हर्फ़ पर चन्दन लिखा इत्र कि बात कि
फिर क़यामत सी मेरी सनम बन गयी
उनको देखा ही था कि होश गुम हुए
लब से निकली तारीफ नज़म बन गयी
'श्लोक' दीवाना हुआ फिर रहा है दर-बदर
कुछ ऐसी शहर भर में खबर बन गयी

______© परी ऍम. "श्लोक"


14 comments:

  1. वाह ! आपके सनम की खूसूरती ने तो हमारे होश भी उड़ा दिए ! बहुत शायराना तस्वीर है नज़्म की ! क्या बात है !

    ReplyDelete
  2. बहुत उम्दा..।।

    ReplyDelete
  3. उनको देखा ही था कि होश गुम हुए
    लब से निकली तारीफ नज़म बन गयी

    क्या खूब लिखी हैं परी जी।
    लाजवाब !

    सादर

    ReplyDelete

  4. बहुत सुन्दर सटीक भावपूर्ण अभिव्यक्ति

    बहुत खूब कही है ग़ज़ल।

    ReplyDelete
  5. कल 21/सितंबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

    ReplyDelete
  6. मन को छूती सुंदर रचना ---
    वाह बहुत खूब -----
    बधाई ---

    ReplyDelete
  7. नाजुक ख्यालों से प्यारे से अल्फाज़ों से शानदार गज़ल बानगी |बहुत बढ़िया रचना |

    ReplyDelete
  8. बेहद खूबसूरत लिखा है

    ReplyDelete
  9. शब्दों ही शब्दों के साथ ये दिश्काश अंदाज़ की ग़ज़ल बन गयी ... बहुत खूब ...

    ReplyDelete
  10. waah behad khoobsurat gazal pari ji.. apki rachnao me bahut hi komalta rhti hai...beautiful

    ReplyDelete
  11. बहुत सुन्दर लिखा है वाह

    ReplyDelete
  12. उनको देखा ही था कि होश गुम हुए
    लब से निकली तारीफ नज़म बन गयी...अति सुंदर अभिव्यक्ति! आदरणिया परी जी!
    "मीर" साहब ने भी लिखा है,
    मीर इन नीम बाज आँखों मे सारी मस्ती शराब की सी है,
    नाज़ुकी इन लबों का क्या कहिए पंखुरी एक गुलाब की सी है!
    धरती की गोद

    ReplyDelete

मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन का स्वागत ... आपकी टिप्पणी मेरे लिए मार्गदर्शक व उत्साहवर्धक है आपसे अनुरोध है रचना पढ़ने के उपरान्त आप अपनी टिप्पणी दे किन्तु पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ..आभार !!