Tuesday, September 2, 2014

"पता है तुम्हे कितने खूबसूरत सपने सजाये थे"

पता है तुम्हे कितने खूबसूरत सपने सजाये थे
छोड़ के बाबा का घर जब तेरे घर को आये थे..
मेहंदी के खुश्बुओ से महक गयी थी मेरी दुनियाँ
सिन्दूर के रंग दिल की वादियों में उतर आये थे..
गुलाबी मेहवार खुशियो की वजह बन गयी थी
मंगलसूत्र के झूले में हम आसमान तक घूम आये थे..
चाँद मेरे माथे की बिंदिया में बसा हुआ नूर था
चमकते सितारे सारे मेरे आँचल में सिमट आये थे..
बाबा की इस बात का शिकवा भी नहीं किया हमने
उन्होंने विदा करते हुए कहा कि हम जन्म से पराये थे..
तुम्हारे लिए छोड़ दिए सारे खिलौने घर आँगन अपना
बचपना सारा मायके की गलियो में भूल आये थे..
तुम्हारी हसरतो में एक गुड़िया से पत्नी बन गए
हर फर्ज हमने अपने बड़े सलीखे से निभाये थे..
.................
मगर फिर टूटने लगे हर दिन हम आईने की तरह
अरमान फूलो वाले राहो में कांटो से उभर आये थे
पांजेब की दिलकश छन-छन बन गयी बेड़ियां मेरी
सिन्दूर कि शक्ल में सपनो के खून माँग में सजाये थे
अँधेरे में नोचते रहे तुम पेशेवर आदमखोर की तरह
दिन के उजाले में लाख कोड़े मेरे पीठ पे बरसाए थे
दूध रोटी तुम खिलाते थे घर में पाली बिल्ली को
खाने को घास-फूस परस के मेरी प्लेट में ले आये थे
मैंने सोचा की भाग जाऊं अपने बाबुल के घर मगर
हम तेरे घर से क्या? अपने घर से भी ठुकराये थे....
तेरे घर में तेरी हिंसा को सहन करना मेरा नसीब बना
 तेरा कांधा अपनी अर्थी जैसे लकीरो में लिखा लाये थे
क्यूँ तुम भूल गए की इंसान हूँ मैं कोई सामान नहीं
खेलने को खिलौना नहीं तुम मेले से खरीद लाये थे
दर्द... मेरे एहसास, मेरे जज्बात में सुराख कर आये थे
बेदी की आग में अपना अधिकार हम राख कर आये थे
अब कैसी जीवन में इससे बत्तर अनहोनी होगी 'श्लोक'
सफ़ेद आँचल विवाह से नाम पर हम दाग-दाग कर आये थे

___________परी ऍम 'श्लोक'

9 comments:

  1. कम शब्द पड़ते हैं , आपके लेखन के लिए , समस्त रचनाएं ही खूबसूरत हैं , परी जी धन्यवाद !
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  2. अत्यंत मार्मिक ! जाने कितनी बेबस नारियों के जज़्बात को बड़ी सशक्त अभिव्यक्ति दी है आपने ! बहुत सुन्दर !

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  3. नारी व्यथा की बहुत सशक्त अभिव्यक्ति...बहुत मर्मस्पर्शी...

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  4. Pari Jee. Aap ko salam karta hun. Kya khoob likha hai.

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  5. शत शत नमन आपकी लेखन प्रतिभा को.... बहुत ही सुन्दर रचना है.. शब्द पर्याप्त नहीं है इसकी प्रशंशा के लिए...

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  6. सच को उजागर करती अदभुत रचना
    उत्कृष्ट प्रस्तुति

    आग्रह है --
    भीतर ही भीतर -------

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  7. behatareen, sparshi aur utkrisht!

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  8. इतना सुंदर लिखा है कि दिल को छु गया

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  9. Kya baat hai Mohtarma aap[ki rachnaye bhartiya naari ka pratinidhitva karti nazar aati hai ji.

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