ये बारिश ये बेइम्तिहां
बारिश
जुदाई की गहरी रात और
ये तन्हाई
है महज़ मेरी धड़कनों का
शोर
उनकी यादों की बिजलियों
से
सुलगते जाते हैं ये
एहसास
डूबता जाता है दिल का
शहर
तैरती हुई मेरे ख्वाबों
की कश्तियाँ
चल पड़ी है लिए अरमानों
की बस्तियाँ
हैं शायद इस सोच में
कि
कहीं किसी लम्हें में
आकर
मेरे साहिल जो तुम हाथ
दे दो अपना
मेरी बिखरी हुई
उम्मीदें संवर जायेंगी
बची हुई ये गमज़दा
ज़िंदगी
गर कुछ देर तेरे साये
में गुज़र जायेगी !!
______________
© परी ऍम.
"श्लोक"
सुन्दर रचना
ReplyDeleteअति सुन्दर रचना ,
ReplyDeleteलेखिका परी जी का अभिनन्दन करता हूँ !!
Pari ji bahothi dil chhu gayi ye Rachna...!!!
ReplyDeleteवाह ! बहुत ही खूबसूरत और नाज़ुक से अहसास और उनकी बेहतरीन अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (11-07-2015) को "वक्त बचा है कम, कुछ बोल लेना चाहिए" (चर्चा अंक-2033) (चर्चा अंक- 2033) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
प्रेम में रहना और प्रेम को महसूस करना मन की सबसे खुबसूरत अनुभूति होती है
ReplyDeleteबरसात में यह अनुभूति मन की परतों में बूंद सी टपकती है
बहुत सुंदर रचना
बधाई
आग्रह है -- ख़ास-मुलाक़ात
सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteप्रेम भरे एहसास के सुनहरे पल ...
ReplyDeleteहैं शायद इस सोच में कि
ReplyDeleteकहीं किसी लम्हें में आकर
मेरे साहिल जो तुम हाथ दे दो अपना
मेरी बिखरी हुई उम्मीदें संवर जायेंगी
प्रेम भरे एहसास को व्यक्त करती सार्थक और सुन्दर पंक्तियाँ !!
रेश्मी अहसासों को शब्दों मे पिरोना आपकी कविता का खूबसूरत पहलू है
ReplyDeleteपरी जी इस भावपूर्ण सुंदर रचना के लिये हार्दिक बधाई ....सादर
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