Friday, July 10, 2015

तेरे साये में ज़िंदगी

ये बारिश ये बेइम्तिहां बारिश
जुदाई की गहरी रात और ये तन्हाई 
है महज़ मेरी धड़कनों का शोर 
उनकी यादों की बिजलियों से 
सुलगते जाते हैं ये एहसास 
डूबता जाता है दिल का शहर
तैरती हुई मेरे ख्वाबों की कश्तियाँ 
चल पड़ी है लिए अरमानों की बस्तियाँ 
हैं शायद इस सोच में कि 
कहीं किसी लम्हें में आकर 
मेरे साहिल जो तुम हाथ दे दो अपना 
मेरी बिखरी हुई उम्मीदें संवर जायेंगी 
बची हुई ये गमज़दा ज़िंदगी  
गर कुछ देर तेरे साये में गुज़र जायेगी !!
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© परी ऍम. "श्लोक" 

11 comments:

  1. अति सुन्दर रचना ,
    लेखिका परी जी का अभिनन्दन करता हूँ !!

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  2. वाह ! बहुत ही खूबसूरत और नाज़ुक से अहसास और उनकी बेहतरीन अभिव्यक्ति !

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (11-07-2015) को "वक्त बचा है कम, कुछ बोल लेना चाहिए" (चर्चा अंक-2033) (चर्चा अंक- 2033) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  4. प्रेम में रहना और प्रेम को महसूस करना मन की सबसे खुबसूरत अनुभूति होती है
    बरसात में यह अनुभूति मन की परतों में बूंद सी टपकती है
    बहुत सुंदर रचना
    बधाई

    आग्रह है -- ख़ास-मुलाक़ात

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  5. सुन्दर अभिव्यक्ति

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  6. प्रेम भरे एहसास के सुनहरे पल ...

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  7. हैं शायद इस सोच में कि
    कहीं किसी लम्हें में आकर
    मेरे साहिल जो तुम हाथ दे दो अपना
    मेरी बिखरी हुई उम्मीदें संवर जायेंगी
    प्रेम भरे एहसास को व्यक्त करती सार्थक और सुन्दर पंक्तियाँ !!

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  8. रेश्मी अहसासों को शब्दों मे पिरोना आपकी कविता का खूबसूरत पहलू है

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  9. परी जी इस भावपूर्ण सुंदर रचना के लिये हार्दिक बधाई ....सादर

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