Thursday, September 4, 2014

अनुभूति (2)

 
बेहद खुशगवार 
हो गया मौसम

देखो .....
भीग गयी मैं भीतर तक
इस रिमझिम रुनझुन फुहार से
कितने हरिया गए तुम भी
धुल कर इस पावन बौछार से

लेकिन
फर्क बस इतना है कि

इस बार ये बूंदे
बारिश की नहीं 
बल्कि
अनुभूति है प्रेम की

जिसने दे दिया है
जीवन को
इक नया अर्थ  !!!

_______परी ऍम 'श्लोक'
 

7 comments:

  1. ये रचना मुझे बहुत पसंद आयी , साथ ही जो फोटो आपने लगायी है उसकी बात ही कुछ अलग है , बहुत ही सुंदर लेखन , आ. परी जी धन्यवाद !
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  2. बहुत खूबसूरत एहसास।


    सादर

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  3. इस बार ये बूंदे
    बारिश की नहीं
    बल्कि
    अनुभूति है प्रेम की
    बहुत सुन्दर

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  4. बेहद खुबसूरत ......!!!!

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