Saturday, May 3, 2014

"अनपढ़ चित्रकार हूँ"

इस चित्र को
सही रूप देने से पहले
इसकी रचना के दौरान
कई बार गलत लकीरे
खींची है मैंने भी 
और फिर उन
टेडी-मेडी लकीरो को
कई बार मिटाकर
मैंने सीधा भी किया
तो कहीं अब जाकर
सही आकृति बना पाने में
सफल हो पायी हूँ
क्या करती ?
अनपढ़ चित्रकार जो थी
इस कला कि विद्या तो
मैंने ली ही नहीं...
फिर भी खैर मानो... 
क्यूंकि चित्रकार मैं थी
यदि कोई और होता
तो उसे मेरी तीखी आलोचना का
सामना करना पड़ता उसे
लेकिन अब
ऐतिहायत बरतनी है मुझे
क्यूंकि इसमें भरा हुआ रंग ही
इस आकृति को सुरूप बनाएगा 
इसमें रंगो का चुनाव
यदि गलत हुआ तो
फिर से इसपे दूसरा रंग
नहीं चढ़ाया जा सकता
मुझे बहुत सूझ-बुझ से
इन सुन्दर रंगो को
वाजिब जगह देनी है
ताकि अपने जीवन कि आकृति मैं
आकर्षित और सुन्दर बना सकूँ!!!


रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
 

No comments:

Post a Comment

मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन का स्वागत ... आपकी टिप्पणी मेरे लिए मार्गदर्शक व उत्साहवर्धक है आपसे अनुरोध है रचना पढ़ने के उपरान्त आप अपनी टिप्पणी दे किन्तु पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ..आभार !!