Sunday, May 4, 2014

"तुम्हे लेना है तो ले जाओ"

नहीं..मुझे तुम्हारी सांत्वना नहीं चाहिए
इसलिए बेहतर होगा कि तुम
मुझे ये भेट न दो
अगर हो सकता है तो
मुझे अकेले बसर करने दो
आजीवन न मिटने वाली
सुन्दर यादो के साथ
जिसमे थोड़ा अपनापन है

हाँ !
परन्तु तुम्हारी वास्तविक उपस्थिति
अब नहीं चाहिए
मेरी रूह में जो पीड़ा का जहर तुमने भरा है
वो रह रह कर उठता है
लेकिन तुम्हे ये जाताना भी नहीं चाहती
क्यूंकि तुम्हारे पास
इसका कोई तोड़ नहीं
केवल समस्याएं हैं

सुनो !
तुम कभी ख्वाब में भी आकर
मेरे उस मोहोब्बत को छूने कि
कोशिश मत करना जो मैंने तुमसे कि 
वरना ख़ाक हो जाओगे..

कोशिश करुँगी मैं और इबादत भी
कि जल्दी वक़्त कि गर्द जमा दे
उन भावनाओ पे जो सीझ जाती हैं
अक्सर तुम्हारा ख्याल आने पर
तुम्हारे सामने आने पर,,तुम्हे सुनने पर
और फिर मुझे मेरी ही आत्म-गुमान का
हत्यारा बना कर रख देती हैं

और अगर
तुम्हे लेना है तो ले जाओ सर्वस्व
जो मुझे डंक मारती हैं
खासा तौर पर ये जिंदगी
जिसकी हर स्वाश मैंने
तुम्हारे वज़ूद के धागे में पिरो दिए हैं
बिना जाने...बिना सोचे...बिना समझे!! 


रचनाकार: परी ऍम 'श्लोक'  

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