आप जबसे हमारे ख़ुदा हो गए
दिल के अरमां सभी बा-सफ़ा हो गए
करके हमसे कयामत के वादें सनम
छोड़ राहों में ही लापता हो गए
भूलकर भी न लौटेंगे तेरी गली
अब बहुत तुम से जां हम खफ़ा हो गए
हो मुबारक़ तुम्हें ज़श्न जारी करो
इश्क़ से मेरे जाओ रिहा हो गए
हम वफ़ा के चलन को निभाते रहे
और तुम आदतन बेवफ़ा हो गए
कर हवाले मुझे मौत के बारहा
जिंदगी बोलकर वो जुदा हो गए
जो बनायें गए थे नियम कायदे
आज
उनके ही हाथों फना हो गए
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© परी ऍम. 'श्लोक'
हम वफ़ा के चलन को निभाते रहे
ReplyDeleteऔर तुम आदतन बेवफ़ा हो गए ..
गज़ब का शेर है इस लाजवाब ग़ज़ल का ... बहुत मज़ा आया ...
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल ! हर शेर दिल की बेचैनी को बखूबी बयाँ कर रहा है
ReplyDeleteबहुत अच्छी ग़ज़ल । भाव सीधे सीधे दिल तक पहुचं गए।
ReplyDeleteबहुत अच्छी ग़ज़ल । भाव सीधे सीधे दिल तक पहुचं गए।
ReplyDeleteहम वफ़ा के चलन को निभाते रहे
ReplyDeleteऔर तुम आदतन बेवफ़ा हो गए
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति
बहुत खूब !
ReplyDeletewaah...superlike
ReplyDeleteBahut khoob Pari ji !
ReplyDeleteहो मुबारक़ तुम्हें ज़श्न जारी करो
ReplyDeleteइश्क़ से मेरे जाओ रिहा हो गए
बेहतरीन ग़ज़ल !