Sunday, June 21, 2015

आप जबसे हमारे ख़ुदा हो गए - ग़ज़ल

आप  जबसे   हमारे   ख़ुदा  हो   गए
दिल के अरमां सभी बा-सफ़ा हो गए

करके  हमसे कयामत  के वादें  सनम 
छोड़  राहों  में   ही  लापता  हो   गए

भूलकर   भी   न  लौटेंगे   तेरी   गली
अब बहुत तुम से जां हम खफ़ा हो गए

हो  मुबारक़   तुम्हें   ज़श्न  जारी   करो
इश्क़  से  मेरे   जाओ   रिहा   हो  गए

हम  वफ़ा  के  चलन  को  निभाते  रहे
और   तुम  आदतन   बेवफ़ा  हो   गए

कर    हवाले   मुझे   मौत   के   बारहा
जिंदगी   बोलकर  वो   जुदा   हो  गए

जो   बनायें   गए    थे   नियम   कायदे
आज  उनके  ही  हाथों   फना  हो  गए
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© परी ऍम. 'श्लोक'

9 comments:

  1. हम वफ़ा के चलन को निभाते रहे
    और तुम आदतन बेवफ़ा हो गए ..
    गज़ब का शेर है इस लाजवाब ग़ज़ल का ... बहुत मज़ा आया ...

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  2. बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल ! हर शेर दिल की बेचैनी को बखूबी बयाँ कर रहा है

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  3. बहुत अच्छी ग़ज़ल । भाव सीधे सीधे दिल तक पहुचं गए।

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  4. बहुत अच्छी ग़ज़ल । भाव सीधे सीधे दिल तक पहुचं गए।

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  5. हम वफ़ा के चलन को निभाते रहे
    और तुम आदतन बेवफ़ा हो गए

    बहुत खूबसूरत प्रस्तुति

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  6. हो मुबारक़ तुम्हें ज़श्न जारी करो
    इश्क़ से मेरे जाओ रिहा हो गए
    बेहतरीन ग़ज़ल !

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