कसमें हैं , न वादें ,
न घंटों गुफ़्तगू का दौर
वो सिलसिले भी नहीं
हसीन मुलाकातों के दरमियान
जुल्फों के बादल हैं और
न तेरी बाहों का टेक
हिज्र के मौसम में
बेताबियों की आंधी
न तन्हाईओं की वादी में
कहीं यादों की गूँज
जागती रातों में
सितारों की गिनती नहीं
और न उनके टूटने पर लब
से निकली दुआ
न तेरे लम्स की खुश्बूं
है कहीं फ़ज़ाओं में
न तेरे आने की मुझमें
उम्मीद कोई बाकी है
ख़्वाब सिमटे हुए हैं
दिल उधड़ा हुआ है
एक प्यार का एहसास है
बहुत
आधा-अधूरा सा।
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© परी ऍम. 'श्लोक'
और न उनके टूटने पर लब से निकली दुआ
ReplyDeleteन तेरे लम्स की खुश्बूं है कहीं फ़ज़ाओं में
न तेरे आने की मुझमें उम्मीद कोई बाकी है
ख़्वाब सिमटे हुए हैं दिल उधड़ा हुआ है
एक प्यार का एहसास है बहुत
आधा-अधूरा सा।
प्यार का एहसास भावनाओं में मिलकर जिंदगी को जिंदादिल बना देता है ! सुन्दर अलफ़ाज़ परी जी
सुन्दर रचना
ReplyDeleteकुछ न होते हुए भी प्यार का एहसास सबका एकसास करा देता है ...
ReplyDeleteसुन्दर शब्द सयोजन
ReplyDeleteप्यारा अहसास