Tuesday, June 9, 2015

आधा-अधूरा सा

कसमें हैं , न वादें , न घंटों गुफ़्तगू का दौर 
वो सिलसिले भी नहीं हसीन मुलाकातों के दरमियान 
जुल्फों के बादल हैं और न तेरी बाहों का टेक 
हिज्र के मौसम में बेताबियों की आंधी 
न तन्हाईओं की वादी में कहीं यादों की गूँज 
जागती रातों में सितारों की गिनती नहीं 
और न उनके टूटने पर लब से निकली दुआ 
न तेरे लम्स की खुश्बूं है कहीं फ़ज़ाओं में 
न तेरे आने की मुझमें उम्मीद कोई बाकी है 
ख़्वाब सिमटे हुए हैं दिल उधड़ा हुआ है 
एक प्यार का एहसास है बहुत 
आधा-अधूरा सा। 
 __________________

© परी ऍम. 'श्लोक' 

4 comments:

  1. और न उनके टूटने पर लब से निकली दुआ
    न तेरे लम्स की खुश्बूं है कहीं फ़ज़ाओं में
    न तेरे आने की मुझमें उम्मीद कोई बाकी है
    ख़्वाब सिमटे हुए हैं दिल उधड़ा हुआ है
    एक प्यार का एहसास है बहुत
    आधा-अधूरा सा।
    प्यार का एहसास भावनाओं में मिलकर जिंदगी को जिंदादिल बना देता है ! सुन्दर अलफ़ाज़ परी जी

    ReplyDelete
  2. कुछ न होते हुए भी प्यार का एहसास सबका एकसास करा देता है ...

    ReplyDelete
  3. सुन्दर शब्द सयोजन
    प्यारा अहसास

    ReplyDelete

मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन का स्वागत ... आपकी टिप्पणी मेरे लिए मार्गदर्शक व उत्साहवर्धक है आपसे अनुरोध है रचना पढ़ने के उपरान्त आप अपनी टिप्पणी दे किन्तु पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ..आभार !!