तेरा
मेरे हो जाने से ज़्यादा
ज़रूरी है
हर लम्हा मेरे पास
होना
किसी भी शक़्ल में ,
किसी भी सूरत में
दिल में धड़को ,सांस में
महको,
या आफ़ताब की शुआओं से
छू लो मुझे
बात ये सोचने की है
लेकिन
फिर रिश्ते का नाम क्या
होगा ?
मुझे रह-रह ख़्याल आता
है
इन नामी रिश्तों का
ज़माने में
एक आख़िरी दौर भी तो आता
है
कभी कोई वादा तोड़ता है
यहाँ
कभी कोई जुबां से पलट
जाता है
इस तसलसुल में हर
इन्साँ
एक दूजे का हाथ छोड़ चला
जाता है
और मुझे खौफ़ है तुझे
खोने का
इसलिए बेनाम , गुमनाम ,
अंजान
सा तआलुक तुमसे जोड़
लेते हैं
के आओ। तुम्हें
रूह में रख कर
जिस्म की सारी बंदिश
तोड़ देते हैं !!
© परी ऍम. 'श्लोक'
वाह "रूह में रख कर
ReplyDeleteजिस्म की सारी बंदिश तोड़ देते हैं " बहुत खूब रूह और जिस्म की कश्मकश में दिल ने सदियो से रूह की ही तो तरफदारी की है
रूह मे रखकर जिसम की बदिशे तोड्ना
ReplyDeleteआज के युग मे असंभव सा हो गया है
स्वार्थ को जीतना है लगभग
सुन्दर कल्पना
bahut sundar bhav liye huye rachna...
ReplyDeleteहर रिश्ते का नाम ढूंढना जरूरी नहीं .... रूह का रिश्ता जरूरी है ...
ReplyDeletewah bahut sundar
ReplyDeleteरूहानी रिश्तों के नाम नही होते..बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteआओ तुम्हे रूह में रख कर---
ReplyDeleteबहुत खूबसूरती से--अम्दाजे-बया-इकरारे-मुहब्बत बन पडी है.
और मुझे खौफ़ है तुझे खोने का
ReplyDeleteइसलिए बेनाम , गुमनाम , अंजान
सा तआलुक तुमसे जोड़ लेते हैं
के आओ। तुम्हें रूह में रख कर
जिस्म की सारी बंदिश तोड़ देते हैं !!
सही कहा आपने परी जी कुछ रिश्तों को कोई नाम नहीं दिया जा सकता ! सुन्दर भाव