इत्र डालो जिस्म पे कि महके तू
और तेरी खुशबु से आलम सारा
तसल्लियों की गोली खाकर
बिस्तर को नींद की हसीना न दो
सोने का वक़्त नहीं जल्दी उठो
हमारी खुदगर्जी को खबर होने से पहले
आओ अंधेरो में उजाला ढूँढना है
तेरे अंदर तुझे उतरना है मेरे अंदर मुझे
झांकना है रूह के आईने में चेहरा अपना
बचाना है उस किरदार को
जो वक़्त का जहर पी रहा है
इससे पहले की वो नेस्तनाबूद हो जाए
चलो महफूज़ कर लेते हैं कुछ नेकियां
बिस्तर को नींद की हसीना न दो
सोने का वक़्त नहीं जल्दी उठो
हमारी खुदगर्जी को खबर होने से पहले
आओ अंधेरो में उजाला ढूँढना है
तेरे अंदर तुझे उतरना है मेरे अंदर मुझे
झांकना है रूह के आईने में चेहरा अपना
बचाना है उस किरदार को
जो वक़्त का जहर पी रहा है
इससे पहले की वो नेस्तनाबूद हो जाए
चलो महफूज़ कर लेते हैं कुछ नेकियां
कुछ ही मोहलत है
बदलाव की ताबीज़ पहन लेते हैं
किसी और को नहीं
हम अपनी-अपनी हस्ती को बदल लेते हैं
किसी और को नहीं
हम अपनी-अपनी हस्ती को बदल लेते हैं
अभी है वक्त .....संभल लेते हैं !!
© परी ऍम 'श्लोक'
बहुत सही परी जी, अंधेरो में उजाला ढूँढना है..।।
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुति..।।
कुछ ही मोहलत है
ReplyDeleteबदलाव की ताबीज़ पहन लेते हैं
किसी और को नहीं
हम अपनी-अपनी हस्ती को बदल लेते हैं
क्या बात है परवीन जी ! उम्दा
बहुत खूब ... उजाला ढूंढना ही जीवन है ... बदलाव तो होते रहना चाहिए ... समय रहते संभलना भी जरूरी है ...
ReplyDeleteनव वर्ष की मंगलकामनाएं ...
बहुत सुन्दर .अंधेरों में उजालों को ढूंढना चाहिए.
ReplyDeleteनई पोस्ट : बंदिशें और भी हैं
अंधेरे में रहते रहते उजालों से नफ़रत हो गयी है मुझे,
ReplyDeleteअब उजालों की क्या ज़रूरत अंधेरे से मोहब्बत हो गई है मुझे.
सुंदर और भावविभोर प्रस्तुति .
बहुत उम्दा !
ReplyDeletekya bat kya bat..damdar prastuti
ReplyDeleteबहुत बढ़िया परी जी
ReplyDeleteसादर
खूबसूरत कविता |
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteमंगलकामनाएं !
सुन्दर भावों का संचरण करती सुन्दर कविता
ReplyDeleteखुदगर्ज इतने की हम कश्ती बदल लेते हैं
मतलबी यार तो अपनी हस्ती बदल लेते हैं
परी जी बहुत प्रभावी रचना ...समय रहते बदलना आवश्यक है ....
ReplyDeleteजबर्दस्त शिल्प से संयोजित पंक्तियां। बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteखूबसूरत जज्बे को खूबसूरत शब्द दिए हैं परी जी ! बस इसे अमली जामा पहनाने की कसर बाकी है ! और यह जितना जल्दी हो जाए सबके लिये बेहतर होगा ! बहुत सुन्दर एवं प्रेरक प्रस्तुति !
ReplyDeleteजज्बातों को शब्दों में ढालना थोडा मुश्किल होता है पर यहाँ लग रहा है की शब्द एहसास पर भारी हैं।
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