बेहद खुशगवार
हो गया मौसम
देखो .....
भीग गयी मैं भीतर तक
इस रिमझिम रुनझुन फुहार से
कितने हरिया गए तुम भी
धुल कर इस पावन बौछार से
लेकिन
फर्क बस इतना है कि
इस बार ये बूंदे
बारिश की नहीं
बल्कि
अनुभूति है प्रेम की
जिसने दे दिया है
जीवन को
इक नया अर्थ !!!
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परी ऍम 'श्लोक'
ये रचना मुझे बहुत पसंद आयी , साथ ही जो फोटो आपने लगायी है उसकी बात ही कुछ अलग है , बहुत ही सुंदर लेखन , आ. परी जी धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत एहसास।
ReplyDeleteसादर
khub sundar
ReplyDeleteइस बार ये बूंदे
ReplyDeleteबारिश की नहीं
बल्कि
अनुभूति है प्रेम की
बहुत सुन्दर
बेहद खुबसूरत ......!!!!
ReplyDeletekhoobsurat!!
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