Monday, September 22, 2014

"हर मुल्क 'हिन्दुस्तान' नहीं होता"


 
कोई मज़हब कोई धर्म बड़ा नहीं होता
इंसान की खाल में इंसान जहाँ नहीं होता
 
कितना भी बढ़ा लिया जाए कद अपना 'श्लोक' 
याद रखना बच्चा कभी भी माँ से बड़ा नहीं होता
 
अपनी मुल्क से गद्दारी करने वाला दोस्तों
सच्चा हिन्दू और पाक मुसलमान नहीं होता
 
अपनी माँ का सौदा जो करते हैं पैसे पर
दलाल होता है नहीं वो... बेटा नहीं होता
 
जो भीड़ में घुसकर चुपके से वार करते हैं
कायर होता है वो मर्द का बच्चा नहीं होता
 
कहते हैं कुछ..... करते हैं कुछ.... वो मुल्क और है
जुबां पर कायम रहे हर मुल्क 'हिन्दुस्तान' नहीं होता

_______© परी ऍम. 'श्लोक'

6 comments:

  1. बहुत खूब - बहुत खूब - बहुत खूब !!!!

    ReplyDelete
  2. कितना भी बढ़ा लिया जाए कद अपना 'श्लोक'
    याद रखना बच्चा कभी भी माँ से बड़ा नहीं होता
    बहुत सुंदर रचना.

    ReplyDelete
  3. अपनी माँ का सौदा जो करते हैं पैसे पर
    दलाल होता है नहीं वो... बेटा नहीं होता

    जो भीड़ में घुसकर चुपके से वार करते हैं
    कायर होता है वो मर्द का बच्चा नहीं होता
    बहुत बढ़िया

    ReplyDelete

मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन का स्वागत ... आपकी टिप्पणी मेरे लिए मार्गदर्शक व उत्साहवर्धक है आपसे अनुरोध है रचना पढ़ने के उपरान्त आप अपनी टिप्पणी दे किन्तु पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ..आभार !!