सूखे पत्तो को उनकी शाख से गिरते हुए
देखा है मैंने ज़मीर..इंसान में मरते हुए
देखा है मैंने ज़मीर..इंसान में मरते हुए
कोई बच्चा ज़मीन पर तड़प के दम तोड़ रहा
देखा है उस वक़्त उसका वीडियो बनते हुए
देखा है उस वक़्त उसका वीडियो बनते हुए
छिपा के मन का शैतान रक्षा करने निकले जो
देखा है ऐसे रक्षको को वर्दी शर्मशार करते हुए
देखा है ऐसे रक्षको को वर्दी शर्मशार करते हुए
देखा है चौराहो पर आवारा लड़को का झुण्ड मैंने
देखा है लड़कियों को बड़ी सहम कर चलते हुए
देखा है लड़कियों को बड़ी सहम कर चलते हुए
देखा है घर कि इज्जत को दो रोटी के लिए
बंद कमरे में पैसो के इशारो पर उतरते हुए
बंद कमरे में पैसो के इशारो पर उतरते हुए
देखा है कुछ इंच ज़मीन के लिए बेटे कि खुदगर्जी
मरे बाप के अंगूठे का निशान दस्तावेज पर उतरते हुए
मरे बाप के अंगूठे का निशान दस्तावेज पर उतरते हुए
पहले तमाशा देखते हैं बाद में मोमबत्ती जलाते हैं
उर्फ़ देखा है लोगो को इस फैशन में भी ढलते हुए
देखा है नन्हे बच्चो का बचपन मजदूरी वाला
देखा है गरीबो को फूटपाथ पर सड़ते हुए
देखा है योजनाओ का प्रभाव भी मैंने
देखा है इसके नाम पर जिंदगियो को ठहरते हुए
देखा है इसके नाम पर जिंदगियो को ठहरते हुए
देखा है अनपढ़ों कि भर्ती घूस भर भर के
देखा है भविष्य को अंधी व्यवस्था पर सूली चढ़ते हुए
देखा है भविष्य को अंधी व्यवस्था पर सूली चढ़ते हुए
देखा है लाखो लीटर दूध पत्थर पर चढ़ते हुए
देखा है नन्हे बच्चे को भूख से मरते हुए
देखा है नन्हे बच्चे को भूख से मरते हुए
देख है ज़रूरतमंदों को ठेंगा दिखाने वालो को
मंदिर में किसी मूरत का शिलान्यास करते हुए
मंदिर में किसी मूरत का शिलान्यास करते हुए
______________परी ऍम 'श्लोक'
बिलकुल सटीक सामयिक रचना
ReplyDeleteसादर
बहुत सुंदर भाव रचना के लिए हार्दिक बधाई
ReplyDeleteLazawab
ReplyDeleteसुन्दर भाव
ReplyDeleteये हकीकत हा न फ़साना कोई
बबूल की शाख पर आदमी लटका हुआ है
अज़ीज़ जौनपुरी
कोई बच्चा ज़मीन पर तड़प के दम तोड़ रहा
ReplyDeleteदेखा है उस वक़्त उसका वीडियो बनते हुए..
आज के समय की कडुवी तस्वीर खिंची है ... हकीकत है आज की ...