जो बचा है उसे बचा रहने देते हैं
कहीं न कहीं तो वफ़ा रहने देते हैं
मैं तुझे न भूलूँ ..तुझे मैं याद रहूँ
कोई तो ऐसी वजह रहने देते हैं
तू मुझे कोसे मैं तुझसे शिकवा करूँ
चलो छोड़ो लबो पे दुआ रहने देते हैं
तू न मुझे देखे न मैं तुझे नज़र आऊँ
दर-ए-दीवारो का पर्दा रहने देते हैं
देख बुझा न दे वक़्त ये एहसास कहीं
प्यार कि शमा सीने में जली रहने देते हैं
अपने मिलने का ही तो सारा बवाल है
दरमियां तावील सा फासला रहने देते हैं
____परी ऍम 'श्लोक'
जो बचा है उसे बचा रहने देते हैं ....is ek pankti ne sab kuchh kah diya :)
ReplyDeleteBehad umda, sundar ehsaas,
ReplyDeleteतू न मुझे देखे न मैं तुझे नज़र आऊँ
ReplyDeleteदर-ए-दीवारो का पर्दा रहने देते हैं
देख बुझा न दे वक़्त ये एहसास कहीं
प्यार कि शमा सीने में जला रहने देते हैं
बहुत उम्दा अशआर
sundar....!
ReplyDeleteअपने मिलने का ही तो सारा बवाल है
ReplyDeleteदरमियां तावील सा फासला रहने देते हैं.... सुंदर ग़ज़ल आदरणिया परी जी!
धरती की गोद
बहुत सुन्दर। (जला रहने देते हैं) में (जली) कर दें।
ReplyDeleteThis is heart touching . speechless ..
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