लव्ज़ जुड़ते गए अल्फ़ाज़ बनते गए
अशआरों से मुकम्मल ग़ज़ल बन गयी
अशआरों से मुकम्मल ग़ज़ल बन गयी
चाँद तारा लिखा फूल पंखुड़ियाँ लिखी
लो मेरे महबूब कि शकल बन गयी
लो मेरे महबूब कि शकल बन गयी
काली घटायें लिखी नीला समंदर लिखा
उस हसीना कि कातिल नज़र बन गयी
उस हसीना कि कातिल नज़र बन गयी
बदलो का गर्जना हवाओ का सरसराना
उर्फ़ तौबा ये तो उनकी धड़कन बन गयी
उर्फ़ तौबा ये तो उनकी धड़कन बन गयी
बूँद फिसली ही थी ख्यालो के पात से
उनकी रेशम सी पतली कमर बन गयी
उनकी रेशम सी पतली कमर बन गयी
मैंने छींटे दो चार रंगो के मारे
उनकी सतरंगी चुनर बन गयी
उनकी सतरंगी चुनर बन गयी
हर्फ़ पर चन्दन लिखा इत्र कि बात कि
फिर क़यामत सी मेरी सनम बन गयी
फिर क़यामत सी मेरी सनम बन गयी
उनको देखा ही था कि होश गुम हुए
लब से निकली तारीफ नज़म बन गयी
लब से निकली तारीफ नज़म बन गयी
'श्लोक' दीवाना हुआ फिर रहा है दर-बदर
कुछ ऐसी शहर भर में खबर बन गयी
कुछ ऐसी शहर भर में खबर बन गयी
______© परी ऍम. "श्लोक"
वाह ! आपके सनम की खूसूरती ने तो हमारे होश भी उड़ा दिए ! बहुत शायराना तस्वीर है नज़्म की ! क्या बात है !
ReplyDeleteबहुत उम्दा..।।
ReplyDeleteउनको देखा ही था कि होश गुम हुए
ReplyDeleteलब से निकली तारीफ नज़म बन गयी
क्या खूब लिखी हैं परी जी।
लाजवाब !
सादर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सटीक भावपूर्ण अभिव्यक्ति
बहुत खूब कही है ग़ज़ल।
कल 21/सितंबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
मन को छूती सुंदर रचना ---
ReplyDeleteवाह बहुत खूब -----
बधाई ---
नाजुक ख्यालों से प्यारे से अल्फाज़ों से शानदार गज़ल बानगी |बहुत बढ़िया रचना |
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत लिखा है
ReplyDeleteशब्दों ही शब्दों के साथ ये दिश्काश अंदाज़ की ग़ज़ल बन गयी ... बहुत खूब ...
ReplyDeletewaah behad khoobsurat gazal pari ji.. apki rachnao me bahut hi komalta rhti hai...beautiful
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है वाह
ReplyDeleteउनको देखा ही था कि होश गुम हुए
ReplyDeleteलब से निकली तारीफ नज़म बन गयी...अति सुंदर अभिव्यक्ति! आदरणिया परी जी!
"मीर" साहब ने भी लिखा है,
मीर इन नीम बाज आँखों मे सारी मस्ती शराब की सी है,
नाज़ुकी इन लबों का क्या कहिए पंखुरी एक गुलाब की सी है!
धरती की गोद
बेहद खूबसूरत एहसास !!!
ReplyDeleteबेहतर कोशिश !
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