सोचा
था
अब
कोई ख्वाब नहीं सजाऊँगी
जब
भी ये टूटते हैं तो
जिंदगी
में गमो का
सैलाब
आ जाता है
ख़्वाब
के रंगदार परिंदे
जब
भी पलकों पर बैठते
मैं
उन्हें उड़ा देती
इसी
जुगत में एक दिन
ख्वाब
का सुनेहरा परिंदा
मेरे
आँगन में गिर गया
उसे
चोट लग गयी
मैंने
उसकी मरहम पट्टी की
और
पूछा क्यूँ आते हो
जब
जानते हो की
बुरी
हूँ मैं
संभाल न पाऊँगी तुम्हे
ख्वाबो
ने मुझे चूमते हुए कहा
मुझे
तुम्हारी आँखों में पलना
अच्छा
लगता है
और
फिर टूट कर
बिखरना
अच्छा लगता है
जानती
हो
तुम्हारी
इन गहरी
आँखों
से प्रेम है मुझे
और
प्रेम
कभी परिणाम नहीं सोचता !!
____________________
©
परी ऍम 'श्लोक'
http://ajmernama.com/guest-writer/125485/
ReplyDeleteसच ही है प्रेम कभी परिणाम नहीं सोचता ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर परी जी।
सुंदर !
ReplyDeleteप्रेम का परिणाम सोचने वाले प्रेम नहीं कर पाते ...
ReplyDeletevaah ...sachchi baat...
ReplyDeleteसच है यह ,
ReplyDeleteमंगलकामनाएं आपको !
आप बिलकुल सहि हो भगवान यां कुदरत अपने आपको व्यक्त करनेके लिए नजाने अपने कितने रुप धारण करेंगी यह कोइ नाहि बता शक्ता है न कोइ सोच शक्ता है, क्युंकी हरएक जन उस परमात्माको व्यक्त करने वालेका हिस्साभर है। हम सब से पहले एक पूरी चेतना, एक गैर खंडित चेतना है।We first of all have a whole consciousness, a non-fragmented consciousness; this whole consciousness is of timelessness, this source of consciousness also has no barriers or limitations at this stage. This is due to it’s stillness, it has no movement or interaction or a push and pull effect, in this state of wholeness it just is.
ReplyDeleteपरिंदे का कहना सच ही तो है....वैसे ये दिल भी परिंदे से कहाँ कम होता है जी.... बहुत नाजुक से भाव... बेहद उम्दा लिखा जी।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...उम्दा पंक्तियाँ ....
ReplyDeleteकाश ! ऐसे शब्द मैं लिख पाता ! ख्वाब बने रहे तो अच्छा , क्यूंकि यही हमें आगे बढ़ाते हैं ! खूबसूरत शब्द परी जी
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteVery nice indeed, One of the tender post in recent times...after all these are the only ones which are our own, rest all is a mirage. Keep your good work on . . !!
ReplyDeleteThe tenderness of the last few lines is beautiful..:)
ReplyDeletebahut behtareen. Achhi prastuti! :)
ReplyDeleteबेचारा परिंदा ......बहुत खूब लिखती हैं आप... बार बार पढ़ने को विवश हो जाते हैं
ReplyDeleteवाह ! क्या बात है ! बहुत सुन्दर !
ReplyDeletebahut khoob prem ke aage kisi ka jor nahi ...
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