Monday, November 10, 2014

सफर ऑटो घर से ऑफिस और...... बवाल


मैं सुबह 9:00 बजे घर से ऑफिस के लिए प्रतिदिन रवाना होती हूँ सिर्फ इतवार छोड़ कर ! घर से लगभग डेढ़ किलोमीटर पैदल चलने के बाद ऑटो स्टैंड पर पहुँचती हूँ और वहाँ से ऑटो करके ऑफिस पहुँचने में 15 मिनट लग जातें है ! लेकिन इन मिनटों में कुछ ऐसे बवाल भी होते रहते है थोड़े थोड़े दिनों के अंतराल में जो मैं कुछ ज़रूर बताना चाहूँगी ! 
बवाल 1. एक दिन मैं जब ऑटो में बैठी तो उस ऑटो में पहले से ही पीछे वाली सीट पे दो आदमी और एक लड़की बैठी हुई थी तो मैं सामने वाली सीट पर आराम से बैठ गयी जिस सीट पर मैं बैठी थी वो चौड़ी कम होती है तो थोड़ा दिक्कत तो हुई पर अब ऑफिस आने के लिए ऑटो तो बुक करवाने से रही! खैर..अब हम बवाल पे आते हैं तो हुआ यूँ की जो आदमी बीच में था वो थोड़ा हरकतबाज़ लग रहा था उसके बगल में बैठी लड़की को कोने की तरफ दबोचे जा रहा था और लड़की बड़े प्यार से कहती दो-दो मिनट में आप थोड़ा उधर हो जाएँ फिर वो आदमी ठीक है कहके उसी जगह पर दो बार उछलता और फिर वहीँ बैठ जाता ..यानी वो न भी नहीं कह रहा था और हट भी नहीं रहा था ! अब बिचारी मैं ये हरकत कबतक देखती आ गयी अपनी ऐड में और हड़का के बोला 'ओये थोड़ा उधर हो न एक सीट पे तीन आदमी के बैठने की जगह है इतना पसर के बैठे हो लड़की कोने में दबी जा रही है चलो सीट दो उसे तब लड़की ने भी अपनी आवाज़ थोड़ी मुकम्मल की और बोली हाँ और थोड़ा उधर हो मुझे कब से प्रॉब्लम हो रही है तब आदमी बिना उछले सीधे तरीके से अपनी औकात वाली जगह में आ गया! फिर उस आदमी ने बड़ी-बड़ी बाते करनी शुरू कर दी अरे तुम्हारे जैसी तो मेरी बेटियाँ हैं... मैं स्कूल में पढ़ाता हूँ... और नजाने क्या क्या तुम तो गलत समझ रही हो ... बस फिर मैंने साईलेन्टली बोला बायोग्राफी नहीं पूछी ... आप जो भी हैं किसी की शक्ल पे नहीं लिखा रहता आप कितने अच्छे हैं हरकत बता देती है और फिर मैंने तो बस साइड होने के लिए कहा आपसे कब कहा की शक किया है या गलत समझ रही हूँ ! मैं अपना मुहावरा "चोर की दाढ़ी में तिनका" बोल पाती की ऑटो ऑफिस क्रॉस कर गया नज़र बाहर पड़ी तो झट से ऑटो वाले को रुकवाया और उतर गयी !   
  
बवाल 2. मैं ऑटो पर बैठी की ऑटो दो कदम आगे बढ़ी वहाँ एक औरत ने ऑटो रुकवाया ... आमने सामने वाली दोनों की सीट पर ३-३ लोग बैठे थे जिसमे से एक मैं भी थी ऑटो वाला मेरी पीठ पे हाथ लगाता है और कहता है मैडम आप सामने बैठ जाओ चार लोग एडजस्ट करलो..जी एडजस्ट तो कर लेती क्यूंकि उसमे सब लड़कियाँ थी अगर उसने जुबान से कहा होता लेकिन उसके तरीके ने तो मेरा खून खोला दिया था जो उसका तरीका था वो मुझे बेहूदा लगा मैं झट से नीचे उतरी और बोला ऐसा कर तू इन्हे बिठा मैं दूसरा ऑटो कर लेती हूँ ! बस इतना कहते ही नीचे उतर कर दूसरा ऑटो देखने लगी ! जब दूसरा ऑटो आया तो सफर तय किया !
 नोट : आय दिन जो भी लड़कियाँ सफर करती हैं कृपया दम बनाये रखें ! कोई आपसे बतमीजी पर उतर आये तो वो आप कहने के काबिल नहीं होता उसका विरोध करें ! विरोध करने से कुछ नहीं होता बस आप किसी गलत नियत का शिकार होने से बच जाती हैं !
बवाल 3 . मुझे धूम्रपान करने वालो से सख्त एलर्जी है ! अक्सर ऑटो में आस-पास जब भी किसी को धूम्रपान करते देखती हूँ तो सीधा बोलती हूँ बीड़ी या सिगरेट जो भी है  फेंक दें.... मैं अपनी आवाज़ में अक्सर एक तेज़ रखती हूँ यानी आवाज़ कभी बिल्ली की तरह नहीं निकली शेर की तरह बाहर आती है ...तो लोग डर के फेंक देते हैं धूम्रपान का आइटम ! एक दिन हुआ यूँ की धूम्रपान ऑटो वाला ही करने लगा वो भी जब रास्ते में पहुँचा तो मैंने उसे बोला की वो सिगरेट फेंक दे और बाद में पी ले उसने नहीं सुना पीता गया मैंने एक बार फिर कहा उसने नहीं सुना ! मुझे गुस्सा आया मैंने बोला ऑटो रोक अभी थोड़ा आगे लेजाकर उसने ऑटो रोक दिया मैं नीचे उतरी उसने बोला पैसे ...मैंने कहा मैंने कहाँ उतारने के लिए कहा था उसने बोला जी अल. एंड टी. (उसने मेरी कंपनी का नाम बोला ) तो आपने कहाँ उतारा उसने कहा रास्ते में...मैंने बोला तो पैसे काहे के ...इतना कहके दूसरे ऑटो को हाथ देकर रुकवाया बैठी और चल दी... सकून से अपने ऑफिस पहुँची !
 नोट : धूम्रपान से सिर्फ पीने वाले को हानि नहीं होती बल्कि उसके धुएँ से भी न पीने वाले को नुक्सान होता है !
बवाल 4. एक दिन ऑटो वाला इतनी तेज़ी से ऑटो लेकर चल पड़ा की उसे एक दो बार मैंने मना किया बोला आराम से चला..लेकिन वो अपने धुन में तेज़ी से बढ़ा जा रहा था ! आखिरकार बाई तरफ के रोड से एक ट्रक वाला आ रहा था उसने तेज़ी में ब्रेक लगायी और बाल-बाल हम बच गए .. हालांकि जान माल की हानि नहीं हुई दिल में दहशत एक पल के लिए बैठ गयी थी ऑफिस उतर कर मैंने उसे नसीहत में काफी कुछ कहा और बोला ऑटो में तुम कई जिंदगी लेकर चलते हो रक्षक बनो राक्षस नहीं ! आइन्दा ऑटो धीरे चलाना! उस दिन कुछ भी हो सकता था सारा दिन यह एक्सीडेंट मेरे दिमाग में घूमता रहा और सोचती रही ज़रूर माँ ने आज दुआ में मेरी सलामती माँगी होगी !
नोट : देर भली दुर्घटना से ..जिंदगी इतनी सस्ती नहीं की तेजी में गवा दें  !!   
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© परी ऍम 'श्लोक'

14 comments:

  1. जी अंदाज़ और अंदाज़े बयां दोनों खूब पसंद आया और ये नसीहत बड़े काम की दी है आपने।

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  2. भगवान ने भी जब मनुष्य अवतार लिए बस ऐसै ही लडते रहना पड रहा था। यह अलग बात है के हम उन्हें भगवान कहते है क्योकि हरेक तकलीफ से लडने शक्ति हर वक्त कैसीभी स्थिति में बिना वक्त गवाये बिलकुल वक्त पे।

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  3. होता है हर कदम पर सहना पड़ता है ऐसा ।

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (12-11-2014) को "नानक दुखिया सब संसारा ,सुखिया सोई जो नाम अधारा " चर्चामंच-1795 पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. अच्छे एवं प्रेरक विचारों से सुसज्जित आलेख हेतु बधाई !!!

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  6. क्या खूब लिखती हैं आप !
    सुंदर :)

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  7. बवाल 1 एक को छोड़ दे तो बाकी के बवाल सभी पर लागू होता है. बिना बवाल के के कार्यालय पहुँचाने का आनंद ही कुछ और है. सुंदर आलेख.

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  8. भैया , जितने भी लड़के लोग हैं , आदमी भी , ज़रा संभल जाओ ! और जहां परी जी जैसी दबंग महिला हों वहां तो एकदम सीधे बैठ जाओ ! हाहाहा , परी जी , हड़काते रहिये !

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  9. संघर्ष तो सतत ही करना पड़ता है ... पर कई बार ऐसी बातो पर करना पड़े तो लगता है समाज में क्या हो रहा है ...

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  10. Thats good one . Its time to not only raise your voice but also your hands and foot . Its only way to teach them all .

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  11. Brave girl .Keep it up.God bless you.

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  12. आपके व्यक्तित्व में सौम्यता और प्रखरता का अदभुत संगम दिखाई देता है ! जैसे हालात आपने बयान किये हैं उनसे ऐसे ही निपटा जा सकता है !

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  13. Badhiaaa kia.. Bawaal.. upar se Aap bhi Bemisaal... :D

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