Wednesday, April 2, 2014

"अजूरी भर ख़ुशी"

जो कांटे थे
वो निकल चुके हैं
पैरो से
और
जीवन से भी
अब राहो में
फूल ही फूल हैं

जो मुश्किल थी
वो भी आज अपना
रास्ता भटक गयी
अब मेरे घर में
जीत कि
गूंज ही गूंज है

कुछ
काली घटाओ ने
बादलो पे
काबू कर लिया था
ज़बरन सूरज
निगल लिया था
अब छट गयी बदरी
हो गया सवेर 
आज रोशनी का रंग देख
कुछ ऐसा हुआ
महसूस मुझे
जैसे  
हर तरफ बिखरा हुआ
सिन्दूर ही सिन्दूर है !!!


रचनाकार : परी ऍम श्लोक
Date : 24th March, 2014


 

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