बेशक कि मुश्किलें बेहद हज़ार हैं
मेरे राहे किरचों में गिरफ्तार हैं
मगर फिर भी मैं
ये कहने से हिचकिचाऊं क्यूँ ??
ए जिंदगी......
तू जैसी भी है लेकिन
मुझे तुझसे फिर भी
हद से ज्यादा प्यार है.....
तेरी चमक से मैं हर सु नहायी हूँ
आज जिस मुकाम पे हूँ
तेरी वजह से आयी हूँ
ये झूठ होगा अगर कहूँ
कि मैं बेकरार नहीं
गमो के साये का मेरे पास शुमार नहीं
मगर शिकस्त
अपने हौसलो में नहीं लिखवाया मैंने 'श्लोक'
सीधी सी बात है
हार का मुझसे कहीं कोई सरोकार नहीं !!
ग़ज़लकार: परी ऍम श्लोक
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