अंजाना
सा एहसास
मुझे गुदगुदाता भी है
रुलाता भी है
दुलराता भी है
समझ नहीं आता कि
इसे क्या कहते हैं ?
क्या ये प्रणय भाव कि हिलोरे हैं ?
लेकिन किसके लिए ?
कौन है इस का कारण?
कहीं वो मेरे ख्यालो
के पीछे छिपा हुआ
शक्स तो नहीं
जो हर एक पल के साथ
मेरी सोच को जकड़े जा रहा है
मुझे गुदगुदाता भी है
रुलाता भी है
दुलराता भी है
समझ नहीं आता कि
इसे क्या कहते हैं ?
क्या ये प्रणय भाव कि हिलोरे हैं ?
लेकिन किसके लिए ?
कौन है इस का कारण?
कहीं वो मेरे ख्यालो
के पीछे छिपा हुआ
शक्स तो नहीं
जो हर एक पल के साथ
मेरी सोच को जकड़े जा रहा है
हथियाता चला
जा रहा है
मेरे मन कि
मेरे मन कि
भावुक
ज़मीन को
और
और
अपने
हित में
गाड़ता ही चला जा रहा है
गाड़ता ही चला जा रहा है
खूबसूरत संवेदना का बीज !!
रचनाकार : परी ऍम श्लोक
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