प्यार बारिश के बूंदो की तरह है
मन के बादलो से जब
झिमिर-झिमिर जीवन धरती पर
बरसना शुरू करदे
तो फिर
न इसकी बूंदो को पकड़ा जा सकता है
न रोका जा सकता है
या फिर यूँ कहो इस सुहाने मौसम से
निकलने का कोई रास्ता ही नही बचता
ये ऐसा महासागर है
जिसकी गहराई का
अंदाज़ा लगा पाना नामुमकिन है
जैसे गूलर का फूल डाल दिया हो
इस भावना में
कि जब पनप उठे
तो फिर ख़त्म होने का कोई प्रश्न ही नहीं!
बिना सरहदो के
इक आवारा पंछी की तरह
हर जगह फिरता है ये
अदृश्य है
सिर्फ महसूस किया जा सकता है
कोई पिंजरा ही नहीं की इसे
कैद किया जा सके!
बेशक ! प्यार अधूरा है वज़ूद से
लेकिन इसके बिना इंसान कभी पूरा नही होता !!
रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
मन के बादलो से जब
झिमिर-झिमिर जीवन धरती पर
बरसना शुरू करदे
तो फिर
न इसकी बूंदो को पकड़ा जा सकता है
न रोका जा सकता है
या फिर यूँ कहो इस सुहाने मौसम से
निकलने का कोई रास्ता ही नही बचता
ये ऐसा महासागर है
जिसकी गहराई का
अंदाज़ा लगा पाना नामुमकिन है
जैसे गूलर का फूल डाल दिया हो
इस भावना में
कि जब पनप उठे
तो फिर ख़त्म होने का कोई प्रश्न ही नहीं!
बिना सरहदो के
इक आवारा पंछी की तरह
हर जगह फिरता है ये
अदृश्य है
सिर्फ महसूस किया जा सकता है
कोई पिंजरा ही नहीं की इसे
कैद किया जा सके!
बेशक ! प्यार अधूरा है वज़ूद से
लेकिन इसके बिना इंसान कभी पूरा नही होता !!
रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
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