वो वृद्ध व्यक्ति
मंदिर की सीढ़ियों पे
भूखा-प्यासा बैठा
सर्द हवाओ के जूझ रहा था
याद कर रहा था
स्वर्गवासी पत्नी को
अपनी उम्र को कोस रहा था
बेबसी के श्रापित आंसू
पी रहा था
समय की ऐठन से
उसका शरीर टूट रहा था
उसके साथ कई रिश्ते थे
जब वो जवान था स्फूर्त था
आज उसका कोई नहीं
वो बच्चे भी नहीं
जिनके अरमान पूरे करते-करते
उनके काँधे झुक गए हैं
चेहरा झुर्रियां गया है
और
टूटे सपनो ने चुभकर-चुभकर
उनकी आँखों की रोशनी मद्धम कर दी है
ये वही व्यक्ति है
जो अपने घर का मुखिया था
परन्तु आज वो
उस घर का नौकर भी नहीं रहा
फेक दिया गया उसे घर से बाहर
इस तरह से
उनकी अंतिम क्षणो की चंद साँसे
उन बच्चो पर बोझ हो चली हैं !!!
रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
मंदिर की सीढ़ियों पे
भूखा-प्यासा बैठा
सर्द हवाओ के जूझ रहा था
याद कर रहा था
स्वर्गवासी पत्नी को
अपनी उम्र को कोस रहा था
बेबसी के श्रापित आंसू
पी रहा था
समय की ऐठन से
उसका शरीर टूट रहा था
उसके साथ कई रिश्ते थे
जब वो जवान था स्फूर्त था
आज उसका कोई नहीं
वो बच्चे भी नहीं
जिनके अरमान पूरे करते-करते
उनके काँधे झुक गए हैं
चेहरा झुर्रियां गया है
और
टूटे सपनो ने चुभकर-चुभकर
उनकी आँखों की रोशनी मद्धम कर दी है
ये वही व्यक्ति है
जो अपने घर का मुखिया था
परन्तु आज वो
उस घर का नौकर भी नहीं रहा
फेक दिया गया उसे घर से बाहर
इस तरह से
उनकी अंतिम क्षणो की चंद साँसे
उन बच्चो पर बोझ हो चली हैं !!!
रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
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