तुम्हारे बिना....
मैं क्या हूँ ?
ऐसा पुष्प जिसमें महक नहीं
ऐसा पेड़ जिसमें फल नहीं
या ऐसा सरोवर
जिसका पानी सूखा हुआ है
ऐसा पर्वत जो मात्र रेत का टीला है
हर झोका जिसे ढहाता जा रहा है
कदाचित
तुम्हारे साथ न होने पर
मैं सर्वश्रेठ बन भी जाऊं
तो क्या ?
उस ख़ुशी को तुमसे साँझा न कर सकूँ
उस एहसास का एक कोना भी छू न सकूँ
ये जीवन जी भी लूँ
तो क्या ?
जब हर स्वाश
अधूरेपन की पीड़ा से भर दे
तुम्हारा होना ही
मेरे सम्पूर्ण होने का प्रमाण है
जिसे किसी भी कीमत पे
नाकारा नहीं जा सकता !!!
रचनाकार : परी ऍम श्लोक
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