Wednesday, April 30, 2014

"वो पेड़"

कुछ समय पहले देखा था मैंने
साबुत था वो पेड़ जंगल का
मगर आज
उस पेड़ में सांस थी लेकिन 
उसके सारे स्वप्नमयी पात
जमीन पर इक-इक करके
झड़ कर गिरते जा रहे थे
मुझे भय था की कहीं वो पेड़
इन पातो की चिंता में सूख न जाए
लेकिन
फिर मैंने देखा परिवर्तन
उस पेड़ पर नए पत्ते आने लगे थे
और वो पेड़ फिर से हरा भरा हो गया था !!


रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'

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