Saturday, April 26, 2014

"वो सितारा कहाँ ढूँढू"

मैं कहाँ ढूँढू अब
वो सितारा
जो आसमान से टूट गया
नजाने किधर होगा
किसी पेड़ पे अटका होगा
तो जुगनू घेर लेंगे
और वो मुझे भुला देगा
गर वो पहाड़ पे गिरा होगा
तो बर्फ से ढक न जाए कहीं
कहाँ होगा ये सोचके
मन विचलित हो जाता है
हर रोज़ जिसे तकती हुई
आँखे सोया नहीं करती थी
किसने छिपा लिया है उसे
कहीं चाँद ने जलन में कोई
साज़िश तो नहीं कि
या कोई और तोड़ ले गया
जो मुझे बेहद अज़ीज़ था
लेकिन मैंने तो
कई हज़ार सितारों में 
बस इक ही सितारा माँगा था
वो भी किसी से देखा न गया
या तो वो पहले ही बहुत नायब था
या फिर मेरे निगाहो ने
उसकी अहमियत बढ़ा दी थी !!!


रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'

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