मैं मान के लिए
जान दे सकती हूँ
और तुम
गुरूर और हट के लिए
किसी भी स्त्री के मान को
बेपरवाह रोंद सकते हो
मेरे लिए मेरा सम्मान सर्वपरि है
तुम्हारे लिए तुम्हारा अहंकार
तुम्हारे लिए मान का अर्थ
समाज का दृष्टिकोण है
मेरे लिए मेरी आत्मा कि गवाही
तुम्हारा अस्तित्व हमसे है
तुम ये जानते हो
लेकिन कभी गहनता से
विचार नहीं किया
हमें सब मालूम है
लेकिन हमने कभी
इसपर घमंड नहीं किया
मैं सहन करती हूँ
ये मेरी सहनशक्ति का प्रमाण है
तुम सितम करते ही
ये तुम्हारी कायरता का
मुझमे दैव्य रूप है
मैं नये अस्तित्व कि रचयिता हूँ
तुम केवल पुरुषार्थ के दूत
मालूम है क्या तुम्हे?
बहुत फर्क है
तुममे और मुझमें
तुम सबकुछ पाकर भी
छीनने से बाज़ नहीं आते
और हम सबकुछ न्योछावर करके भी
संतुष्ट होकर जीवन बिता डालते हैं
तुम महान बनने कि
कोशिश करके भी कितने छोटे हो
और हम कुछ न जता कर भी सर्वश्रेष्ठ
जिसके अर्थहीन होते ही
तुम्हारा कहीं नाम-ओ-निशान
तक नहीं बचेगा !!
रचनाकार : परी ऍम श्लोक
जान दे सकती हूँ
और तुम
गुरूर और हट के लिए
किसी भी स्त्री के मान को
बेपरवाह रोंद सकते हो
मेरे लिए मेरा सम्मान सर्वपरि है
तुम्हारे लिए तुम्हारा अहंकार
तुम्हारे लिए मान का अर्थ
समाज का दृष्टिकोण है
मेरे लिए मेरी आत्मा कि गवाही
तुम्हारा अस्तित्व हमसे है
तुम ये जानते हो
लेकिन कभी गहनता से
विचार नहीं किया
हमें सब मालूम है
लेकिन हमने कभी
इसपर घमंड नहीं किया
मैं सहन करती हूँ
ये मेरी सहनशक्ति का प्रमाण है
तुम सितम करते ही
ये तुम्हारी कायरता का
मुझमे दैव्य रूप है
मैं नये अस्तित्व कि रचयिता हूँ
तुम केवल पुरुषार्थ के दूत
मालूम है क्या तुम्हे?
बहुत फर्क है
तुममे और मुझमें
तुम सबकुछ पाकर भी
छीनने से बाज़ नहीं आते
और हम सबकुछ न्योछावर करके भी
संतुष्ट होकर जीवन बिता डालते हैं
तुम महान बनने कि
कोशिश करके भी कितने छोटे हो
और हम कुछ न जता कर भी सर्वश्रेष्ठ
जिसके अर्थहीन होते ही
तुम्हारा कहीं नाम-ओ-निशान
तक नहीं बचेगा !!
रचनाकार : परी ऍम श्लोक
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