जब कभी-कभी तन्हाई में
मैं अपने आप में गुम होती हूँ
दुनिया के बारे में न सोचकर
अपने बारे में सोचती हूँ
मुझसे बाते करती हूँ
तब उड़ान के उजले पंख
मेरी तमन्नाओ में लग जाते हैं
फिर अक्सर
ये रह-रह के ख्याल आता है
कि काश !
कोई ऐसा भी हो इस जहान में
जो अपने तमाम काम से किनारा करके
बड़ी फुरसतों के साथ कुछ पल
सिर्फ मेरी गज़ले पढ़े....
उन ग़ज़लो में रमे हुए
उर्दू लव्जों के मायने तलाशे
मेरी कविताओ के संदर्भो में
उलझता फसता , कुछ समझता
कुछ पूछता, कहीं से ढूँढता
अनसुने शब्दो के अर्थ को...
ऐ काश !
हो जाता कोई
ऐसे ही मेरी तमाम दुनिया
जिसकी तारीफ मेरे लिए बुलंदियां होती
जिसकी नज़र मेरे लिए नज़ारे
जिसका दिल मेरा आशियां होता
जिसकी बाहें मेरा सहारा
जिसकी बाते मेरे लिए
वास्तविकता कि अमिट लकीर
जिसका प्रेम मेरा दायरा होता
जिसकी धड़कन कि ताल पे
मेरी जिंदगी रक्स करती
बस वो रहता
मेरे जुबां पे ज़ेहन में लव्ज़ में
कहीं कुछ ठहराव मिलता
मेरे बहते हुए जज़्बातों को
कोई यूँ बाँध बनके
हर तरफ से घेर लेता मुझे
काश !होता वो
उस अलग सी दुनिया का सुल्तान
जिससे इज़ाज़त लेकर
हवा भी मुझसे मुखातिब होती
जिसके लिए मैं अनमोल होती
मेरी खासियत खामियों के आगे होती
अगर ऐसा मुमकिन होता
तो हाँ फिर ये तय है
मैं अपनी कलम के हर गुदगुदाते हर्फ़
उसके वज़ूद को समर्पित कर देती बिना शर्त..
सच कहूं तो
मेरी अधूरी प्रेम कहानी
आज भी अपनी पलके बिछाये
उस किरदार कि प्रतीक्षा में है
जो उस सच्ची प्रणय वृत्तांत का महानायक है
अगर ऐसा होता तो
शायद फिर मैं
इक ऐसी कहानी कि सूत्रधार बन पाती
जिसके किरदार मरे हुए
प्रेम कहानी को असल में जिन्दा कर देते है !!
रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
मैं अपने आप में गुम होती हूँ
दुनिया के बारे में न सोचकर
अपने बारे में सोचती हूँ
मुझसे बाते करती हूँ
तब उड़ान के उजले पंख
मेरी तमन्नाओ में लग जाते हैं
फिर अक्सर
ये रह-रह के ख्याल आता है
कि काश !
कोई ऐसा भी हो इस जहान में
जो अपने तमाम काम से किनारा करके
बड़ी फुरसतों के साथ कुछ पल
सिर्फ मेरी गज़ले पढ़े....
उन ग़ज़लो में रमे हुए
उर्दू लव्जों के मायने तलाशे
मेरी कविताओ के संदर्भो में
उलझता फसता , कुछ समझता
कुछ पूछता, कहीं से ढूँढता
अनसुने शब्दो के अर्थ को...
ऐ काश !
हो जाता कोई
ऐसे ही मेरी तमाम दुनिया
जिसकी तारीफ मेरे लिए बुलंदियां होती
जिसकी नज़र मेरे लिए नज़ारे
जिसका दिल मेरा आशियां होता
जिसकी बाहें मेरा सहारा
जिसकी बाते मेरे लिए
वास्तविकता कि अमिट लकीर
जिसका प्रेम मेरा दायरा होता
जिसकी धड़कन कि ताल पे
मेरी जिंदगी रक्स करती
बस वो रहता
मेरे जुबां पे ज़ेहन में लव्ज़ में
कहीं कुछ ठहराव मिलता
मेरे बहते हुए जज़्बातों को
कोई यूँ बाँध बनके
हर तरफ से घेर लेता मुझे
काश !होता वो
उस अलग सी दुनिया का सुल्तान
जिससे इज़ाज़त लेकर
हवा भी मुझसे मुखातिब होती
जिसके लिए मैं अनमोल होती
मेरी खासियत खामियों के आगे होती
अगर ऐसा मुमकिन होता
तो हाँ फिर ये तय है
मैं अपनी कलम के हर गुदगुदाते हर्फ़
उसके वज़ूद को समर्पित कर देती बिना शर्त..
सच कहूं तो
मेरी अधूरी प्रेम कहानी
आज भी अपनी पलके बिछाये
उस किरदार कि प्रतीक्षा में है
जो उस सच्ची प्रणय वृत्तांत का महानायक है
अगर ऐसा होता तो
शायद फिर मैं
इक ऐसी कहानी कि सूत्रधार बन पाती
जिसके किरदार मरे हुए
प्रेम कहानी को असल में जिन्दा कर देते है !!
रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
भावना से ओत-प्रोत................सरस..................सुंदर
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