इन
एहसास कि
लहरो
पर
मैं
सवार हूँ
या
ये
लहरे मुझपर
बड़ी
कशिश है मौसम में
खुश
मिज़ाज़ ये पुरवाई
आफताब
कि रोशनी है ज़ोरो पर
बरखा
में बरसात कि बूंदे
भिगोती
जा रही है
कुछ
मुझे , कुछ तुम्हे….
और
वादियो
में गूंजता है
एक
लय में
संगीत
सा तुम्हारा नाम
सहमा
दिल है बेताब धड़कन
मैं
दौड़ कर पकड़ती हूँ
बदहवासी
में ख्याली परछाई
और
वो छिप जाती है
अंधेरो
कि सिल्की आँचल में
नींदे
बड़ी मशगूल है तुममे
और
सकूं नींदो से खफा
तसव्वुर
अपनी नयी दुनियाँ में
जिसका
हर चेहरा हर रूपतुम हो
कितना
अज़ीब है फलसफा
जज़्बातों
का
ये
जानते हुए भी कि तुम
इक
खूबसूरत वहम हो मेरा
जिसका
वास्तविकता से कोई नाता नही
तुम
सिर्फ मेरे अंदर हो
लेकिन
फिर
भी
इस
वहम में जीने का मज़ा
जिंदगी
के मायूस लम्हों को
बेहद
हसीं बना देता है !
रचनाकार : परी ऍम श्लोक
कितना अज़ीब है फलसफा
ReplyDeleteजस्बातों का
ये जानते हुए भी कि तुम
इक खूबसूरत वहम हो मेरा
जिसका वास्तविकता से कोई नाता नही
तुम सिर्फ मेरे अंदर हो
प्यार और प्रेम की चासनी में डूबे हुए सार्थक और सुन्दर शब्द ! परी जी , आप शायद जल्दी में रहती हैं , पोस्ट करने से पहले विनम्रता पूर्वक कहना चाहूंगा कि एक बार फिर से पोस्ट पर नजर मार लिया करें ! कुछ टाइपिंग की गलतियां हो जाती हैं आपसे , मतलब समझ आता है लेकिन धीरे धीरे फिर ये आपकी आदत बन जायेगी ! आशा है अन्यथा नहीं लेंगी
असली पाठक हैं जी आप पढ़ेंगे तभी गलती बता भी पायेंगे ।
Deleteकल्पनायें जीवन के बेहद जरूरी है, जीवन में नया रंग भर देती है। सपने जीवन में न हो तो उसके लिए एक शेर याद आता है किसी बड़े आदमी ने लिखा है -
ReplyDelete"ना कोई ख्वाब,ना कोई खलिश, न कोई खुमार
ये आदमी तो बड़ा अधूरा सा लगता है "
ज़ज्बात और अहसासों की संजीदगी ने इस सफर को सुहाना बना दिया है , कहाँ कौन है किसके अल्फाजों में दरिया सी बहती शब्दों ने थोड़ी ठहरकर कहीं, अफ़साना बना दिया है। बहुत खूबसूरत , शुभकामनायें आपको !
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteवहम में भी तेरा ख्याल दिल को राहत देता है
ऐ काश तो वहम न होता मेरे इस जेहन का
दुनियाँ रंगीन हो जाती गर हाथ में मेरे
तेरा हाथ होता............Aashu....
Utkrusht rachna...chanchal mann ki kalpanao ko bahut hi khoobsurat dhang se shabdo mein piroya hai...
ReplyDeleteYogi ji aap meri rachna itane dhyaan se padhte hain iske liye aapka dher sara aabhaar .... Hamne apni trutiyo ko theek kar liye hai aap ke aadeshanusaar ... Aap yun aate rahein utsaah badhaate rahein ... Accha lagta hai :)
ReplyDeleteसुन्दर रचना .. सुन्दर ख्याल.
ReplyDeleteयोगी जी कि बातों से मैं भी सहमत हूँ ..... :D थोड़ा समय दीजिये रचनाओं को ..
Aap sabhi ka haardik aabhaar mujhe yun utsaahit karne ke liye... Aap sabhi aatein rahein yun hi accha lagta hai :)
ReplyDeleteइस वहम में जीने का मज़ा
ReplyDeleteजिंदगी के मायूस लम्हों को
बेहद हसीं बना देता है !
सच है कभी कभी वहम हक़ीक़त से ज़्यादा खूबसूरत होता है
बहुत ही बढ़िया
Waah behtareen at sunder
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ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत और खुशनुमां सी कविता ! इन भ्रमों में ही कहीं न कहीं जीने की वजह भी मिल ही जाती है !
ReplyDeleteसराहनीय सृजन
ReplyDeleteलू के गर्म झकोरों से जब
पछुवा तन को झुलसा जाती
लम्हों की स्वप्निल घाटी में
है याद किसी की आ जाती
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ReplyDeleteSorry I had to delete my comments for wrong spellings(नहीं तो मुझे भी....) Why we don't have a spell checker for Hindi?..Any suggestions?.
Delete(एक बार फिर कोशिश करता हूँ ) ये एहसास जीवन हसीन बनाते हैं ....और एक दिन सपने सच भी हो जाते हैं ...सुंदर रचना
ReplyDeleteमित्र !आप को धन तेरस और दीवाली के अन्य पञ्च-पर्व की वधाई ! सुन्दर रचना !! भाव प्रधान !!
ReplyDeleteवाह!बहुत ख़ूब लिखा ...
ReplyDeleteख्वाबों की मौज पर..... अल्फाज का तैरना.... बहुत खूबसूरत.... यूं ही लिखती रहिये... दिखती रहिये..... शुभ धनतेरस एवं शुभ दीपावली... :)
ReplyDeleteवाह..
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