Wednesday, December 17, 2014

बड़े दिन से जिसे दूध पिला रहा था


9 comments:

  1. An apt post on the recent Peshawar incident..it saddens me..

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  2. आतंक का मंजर अफसोसनाक है.
    New Post : Pebble and Life

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  3. सटीक टिप्पणी पाकिस्तान के लिए.

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  4. सबका मन आहत है। पाक वही काट रहा जो उसने बोया है। अब तो चेते और यह समझे कि जब दहशतगर्द निर्दोष एवं मासूम नागरिकों को बम और गोलियों से उड़ाते हैं तो दर्द कितना और कैसा होता है।

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  5. आतंक सब कुछ ख़त्म कर देता है ... इसी लिए बोने से पहले सोचना चाहिए ..

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  6. यही होता आया है हमेशा ।
    बोये पेड़ बबूल का तो......

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  7. बिलकुल सही कहा आपने ! लेकिन मासूम बच्चों की मौतें झकझोर गयीं ! इनकी जगह दोगले नेता होते तो कम दुःख होता !

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  8. पाकिस्तान के सियासतदानों की करतूतों का बदला वहां का अवाम चुका रहा है ! बढ़िया शब्द लेखिका जी

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