बहुत सुंदर. जो दर्द भरा था बीत गया उसको क्यों याद किया जाए सचमुच त्यौहार ही जीवन है ये त्यौहार जिया जाए जाने वाला वश में न था आने वाला तो वश में हो है नया वर्ष आने वाला सबको सुख और प्रेम दिया जाए
................आने वाले वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !
यह कलयुग आखरी युग है जिसमे भजोरे भगवान बस भाग जाव इस युगसे परमात्माका खेलका विस्तार बहोत बडा है मनुश्य फस जाता है और भूल जाता है इश्वरके बगैर कुछभी संभव नही। संतोने भगवानसे जिव के लिये मुक्ति मांगी और इश्वर् ने कबुल किया उस्के बाद भगवान संपुर्ण तरहसे सभी मे समा गया यहा कोइ जिव बिना इश्वरके है हि नहि जो श्वासपे ध्यानदे और सांसको अपने मस्तिष्कके उस छोर तकले जाये जहा आकाश तत्व है॥ खाली जगह आकाशका मतलब, जहा स्वयं पारब्रह्म पमेश्वर परमात्मा शोहि आत्मा भगवान बैठे है। यह श्वास, सांस वहा बैठ्ती है मनुश्यके मरनेके बाद जब डोक्टर जवाब दे देता है अब इसके शरीरमें ना सांस चल रहि है न धडकन जिसकी वजहसे खुनकाभी सर्क्युलेशनभी बन्द हो गया है तब वाली यह स्थिती जो मनुष्य जीतेजी बना लेता है उसे हि लोग संत कहते है और लोग कहे ना कहे पर खुदकोतो पता चल जाता है के मेरे बसमे कुछ नहि यह सारा खेल अलौकिक है जिसमे नमेरा हाथ है न दिमाग यहतो इश्वरहि है जिसकी आज्ञाके बिना पता तो क्या पलकभी नहि जबकती। बस इस स्थिती को मोक्ष कहते है जो जीतेजी जान गया अपनी श्रधा और शबुरीसे सत्ता इश्वरकीही है। भगवदगीतामेभी लिखा है ऐसेहि युग पुरुषके बारेमे 'वासुदेव सर्वमती' के "मैहीहूं" हर जगह सो महात्मा अती दुर्लभ। बाकी मनुष्योंको अपने कर्मोका फल खुदही भोगने पड्ते है यहभी गीताकाहि वचन है जो यह नहि जानताके इश्वरके बगैर कुछभी संभव नहि। अब आगे आत्मज्ञान हो या नाहो किसिको वहभी उसि(इश्वर)की सत्ताके तहत आता है पर मनुष्य यत्न तो नाछोडे तो अचुक इश्वर कृपा होतीहि है।
सार्थक प्रस्तुति। -- आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (02-01-2015) को "ईस्वीय सन् 2015 की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा-1846) पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- नव वर्ष-2015 आपके जीवन में ढेर सारी खुशियों के लेकर आये इसी कामना के साथ... सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
खूबसूरत अभिव्यक्ति....सच में हर दिन एक नया इम्तिहान होता है, हर दिन एक नया तजुर्बा होता है.. नए साल की हार्दिक शुभकामनाएँ... नया साल आपके जीवन में हर दिन नई खुशियाँ लेकर आये...
मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन का स्वागत ... आपकी टिप्पणी मेरे लिए मार्गदर्शक व उत्साहवर्धक है आपसे अनुरोध है रचना पढ़ने के उपरान्त आप अपनी टिप्पणी दे किन्तु पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ..आभार !!
bahut sundar ...
ReplyDeletenav varsh ki mangalkaamnaye..
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक चर्चा मंच पर वर्ष २०१५ की प्रथम चर्चा में दिया गया है
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteजो दर्द भरा था बीत गया उसको क्यों याद किया जाए
सचमुच त्यौहार ही जीवन है ये त्यौहार जिया जाए
जाने वाला वश में न था आने वाला तो वश में हो
है नया वर्ष आने वाला सबको सुख और प्रेम दिया जाए
................आने वाले वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !
वाह क्या बात है ,,,,,,,,,नव वर्ष की ढेरो शुभकामनाएं!
ReplyDeleteयह कलयुग आखरी युग है जिसमे भजोरे भगवान बस भाग जाव इस युगसे परमात्माका खेलका विस्तार बहोत बडा है मनुश्य फस जाता है और भूल जाता है इश्वरके बगैर कुछभी संभव नही। संतोने भगवानसे जिव के लिये मुक्ति मांगी और इश्वर् ने कबुल किया उस्के बाद भगवान संपुर्ण तरहसे सभी मे समा गया यहा कोइ जिव बिना इश्वरके है हि नहि जो श्वासपे ध्यानदे और सांसको अपने मस्तिष्कके उस छोर तकले जाये जहा आकाश तत्व है॥ खाली जगह आकाशका मतलब, जहा स्वयं पारब्रह्म पमेश्वर परमात्मा शोहि आत्मा भगवान बैठे है। यह श्वास, सांस वहा बैठ्ती है मनुश्यके मरनेके बाद जब डोक्टर जवाब दे देता है अब इसके शरीरमें ना सांस चल रहि है न धडकन जिसकी वजहसे खुनकाभी सर्क्युलेशनभी बन्द हो गया है तब वाली यह स्थिती जो मनुष्य जीतेजी बना लेता है उसे हि लोग संत कहते है और लोग कहे ना कहे पर खुदकोतो पता चल जाता है के मेरे बसमे कुछ नहि यह सारा खेल अलौकिक है जिसमे नमेरा हाथ है न दिमाग यहतो इश्वरहि है जिसकी आज्ञाके बिना पता तो क्या पलकभी नहि जबकती। बस इस स्थिती को मोक्ष कहते है जो जीतेजी जान गया अपनी श्रधा और शबुरीसे सत्ता इश्वरकीही है। भगवदगीतामेभी लिखा है ऐसेहि युग पुरुषके बारेमे 'वासुदेव सर्वमती' के "मैहीहूं" हर जगह सो महात्मा अती दुर्लभ। बाकी मनुष्योंको अपने कर्मोका फल खुदही भोगने पड्ते है यहभी गीताकाहि वचन है जो यह नहि जानताके इश्वरके बगैर कुछभी संभव नहि। अब आगे आत्मज्ञान हो या नाहो किसिको वहभी उसि(इश्वर)की सत्ताके तहत आता है पर मनुष्य यत्न तो नाछोडे तो अचुक इश्वर कृपा होतीहि है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteआपको भी सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत खूब.... नया साल मुबारक हो !!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..नये वर्ष की मंगलकामनाएं
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (02-01-2015) को "ईस्वीय सन् 2015 की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा-1846) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
नव वर्ष-2015 आपके जीवन में
ढेर सारी खुशियों के लेकर आये
इसी कामना के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDelete--
नव वर्ष-2015 आपके जीवन में
ढेर सारी खुशियों के लेकर आये
इसी कामना के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपको सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ .....!!
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति....सच में हर दिन एक नया इम्तिहान होता है, हर दिन एक नया तजुर्बा होता है..
ReplyDeleteनए साल की हार्दिक शुभकामनाएँ... नया साल आपके जीवन में हर दिन नई खुशियाँ लेकर आये...
Bahu khoob zindgi imtihan ayr tajurbo ka hi ek safar hai nav varsh mangalmy ho sadar
ReplyDeleteवाकई ! कल जो हुआ वो इतिहास बन गया ! आने वाला समय इम्तिहान ही तो है ! जिसमें पास होना एक चुनौती है ! बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteआपने जो चित्र लगाया है परी जी , सब कुछ बयान कर देता है !!
ReplyDeletehar bita lamha tazurba hi deta h...pr jane q fir se har jane ko dil kar jataa h..
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