Wednesday, December 31, 2014

"कल जो भी हुआ"

कुछ परिंदे शाख से उड़ने को हैं
कुछ नए रंग उतरने वाले हैं
वक़्त की तस्वीर में ...
 
अब देखना है चेहरा क्या होगा
आने वाले दौर का आइना क्या होगा
रंगत कैसी होगी..निखार कितना होगा
 
कल जो भी हुआ एक तजुर्बा बना ...
अब जो भी होगा एक इम्तिहान होगा !!
 ________________
©परी एम.'श्लोक'

16 comments:

  1. bahut sundar ...

    nav varsh ki mangalkaamnaye..

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक चर्चा मंच पर वर्ष २०१५ की प्रथम चर्चा में दिया गया है
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ

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  3. बहुत सुंदर.
    जो दर्द भरा था बीत गया उसको क्यों याद किया जाए
    सचमुच त्यौहार ही जीवन है ये त्यौहार जिया जाए
    जाने वाला वश में न था आने वाला तो वश में हो
    है नया वर्ष आने वाला सबको सुख और प्रेम दिया जाए

    ................आने वाले वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !

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  4. वाह क्या बात है ,,,,,,,,,नव वर्ष की ढेरो शुभकामनाएं!

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  5. यह कलयुग आखरी युग है जिसमे भजोरे भगवान बस भाग जाव इस युगसे परमात्माका खेलका विस्तार बहोत बडा है मनुश्य फस जाता है और भूल जाता है इश्वरके बगैर कुछभी संभव नही। संतोने भगवानसे जिव के लिये मुक्ति मांगी और इश्वर् ने कबुल किया उस्के बाद भगवान संपुर्ण तरहसे सभी मे समा गया यहा कोइ जिव बिना इश्वरके है हि नहि जो श्वासपे ध्यानदे और सांसको अपने मस्तिष्कके उस छोर तकले जाये जहा आकाश तत्व है॥ खाली जगह आकाशका मतलब, जहा स्वयं पारब्रह्म पमेश्वर परमात्मा शोहि आत्मा भगवान बैठे है। यह श्वास, सांस वहा बैठ्ती है मनुश्यके मरनेके बाद जब डोक्टर जवाब दे देता है अब इसके शरीरमें ना सांस चल रहि है न धडकन जिसकी वजहसे खुनकाभी सर्क्युलेशनभी बन्द हो गया है तब वाली यह स्थिती जो मनुष्य जीतेजी बना लेता है उसे हि लोग संत कहते है और लोग कहे ना कहे पर खुदकोतो पता चल जाता है के मेरे बसमे कुछ नहि यह सारा खेल अलौकिक है जिसमे नमेरा हाथ है न दिमाग यहतो इश्वरहि है जिसकी आज्ञाके बिना पता तो क्या पलकभी नहि जबकती। बस इस स्थिती को मोक्ष कहते है जो जीतेजी जान गया अपनी श्रधा और शबुरीसे सत्ता इश्वरकीही है। भगवदगीतामेभी लिखा है ऐसेहि युग पुरुषके बारेमे 'वासुदेव सर्वमती' के "मैहीहूं" हर जगह सो महात्मा अती दुर्लभ। बाकी मनुष्योंको अपने कर्मोका फल खुदही भोगने पड्ते है यहभी गीताकाहि वचन है जो यह नहि जानताके इश्वरके बगैर कुछभी संभव नहि। अब आगे आत्मज्ञान हो या नाहो किसिको वहभी उसि(इश्वर)की सत्ताके तहत आता है पर मनुष्य यत्न तो नाछोडे तो अचुक इश्वर कृपा होतीहि है।

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  6. बहुत सुंदर.
    आपको भी सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!

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  7. बहुत खूब.... नया साल मुबारक हो !!!

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  8. बहुत सुन्दर ..नये वर्ष की मंगलकामनाएं

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  9. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (02-01-2015) को "ईस्वीय सन् 2015 की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा-1846) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    नव वर्ष-2015 आपके जीवन में
    ढेर सारी खुशियों के लेकर आये
    इसी कामना के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  10. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    नव वर्ष-2015 आपके जीवन में
    ढेर सारी खुशियों के लेकर आये
    इसी कामना के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  11. आपको सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ .....!!

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  12. खूबसूरत अभिव्यक्ति....सच में हर दिन एक नया इम्तिहान होता है, हर दिन एक नया तजुर्बा होता है..
    नए साल की हार्दिक शुभकामनाएँ... नया साल आपके जीवन में हर दिन नई खुशियाँ लेकर आये...

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  13. Bahu khoob zindgi imtihan ayr tajurbo ka hi ek safar hai nav varsh mangalmy ho sadar

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  14. वाकई ! कल जो हुआ वो इतिहास बन गया ! आने वाला समय इम्तिहान ही तो है ! जिसमें पास होना एक चुनौती है ! बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति !

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  15. आपने जो चित्र लगाया है परी जी , सब कुछ बयान कर देता है !!

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  16. har bita lamha tazurba hi deta h...pr jane q fir se har jane ko dil kar jataa h..

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