आई
एक खबर
दूर-दराज़
से
उस
वहशी की
जिसने
कई औरतों को
निवस्त्र
किया
मज़दूरों
की मज़दूरी मार ली
गरीबो
की ज़मीन हड़प ली
किसी
ने आवाज़ बुलंद भी की
तो
सबूत न जुटा सका
नहीं
हुई कोई कारवाही उसपर
फिर
चलन चलता रहा
उसी
अत्याचार का ..सहन का
सब
सहते गए सितम
और
एक अदद आदमी के
बाहुबल
के आगे
झुक
गया गाँव का गाँव पूरा
किन्तु
एक दिन
दिवाली
का पटाखा
बारूद
की तरह गिरा
और
धूं-धूं कर जलने लगा
लोगो
की हाय पर तैयार
उस
बाहुबली का महल
जल
गयी उसकी एक लोती बेटी
पागल
हो गयी उसकी पत्नी
उजाड़
हो गया उसका
बसा
बसाया आशियाना
क्योंकि
जब
कुदरत
इन्साफ करता है
तो
सिर्फ और सिर्फ फैसला सुनाता है
वो
नहीं मांगता....
कोई
गवाह....कोई सबूत !!
___________________
© परी ऍम. 'श्लोक'
सच है..कुदरत के इन्साफ में देर है पर अंधेर नहीं...
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना....
ReplyDeleteमुकेश की याद में@जिस दिल में बसा था प्यार तेरा
क्योंकि जब
ReplyDeleteकुदरत इन्साफ करता है
तो सिर्फ और सिर्फ फैसला सुनाता है
वो नहीं मांगता....
कोई गवाह....कोई सबूत !!
एकदम सार्थक परी जी ! लेकिन ये कुदरत का इन्साफ , कितने अपराधियों को मिल पाता है ? ये सोचने की बात है !!
ईश्वर मारता है तो उसकी लाठी में आवाज़ नहीं होती !
ReplyDeleteविस्मित हूँ !
सच्चाई .. कुदरत का इन्साफ सबके लिए बराबर होता है ... उसे गवाह की जरूरत नहीं होती ...
ReplyDeleteकुदरत का अगर यही इन्साफ है तो क्या कुदरत भी भेदभाव करती है ? क्योंकि अभी भी अन्याय अत्याचार और शोषण करने वाले अनगिनती लोग फलफूल रहे हैं और सीधे सच्चे मजबूर और निर्बल लोग घुन की तरह उनके दुश्चक्रों में फँसे घुन की तरह पिस रहे हैं ! बस इसी बात की प्रतीक्षा है कि उन्हें कुदरत का न्याय कब मिलेगा !
ReplyDeleteसुंदर और भावपूर्ण
ReplyDeleteसही कहा आपने
ReplyDeleteकुदरत नही मांगती कोई सबूत, पर न्याय कब मिलेगा इसका कहां होता है कोई वक्त।
ReplyDeleteहकीकत से रूबरू कराती रचना.
ReplyDeleteनई पोस्ट : इच्छा मृत्यु बनाम संभावित मृत्यु की जानकारी
ईश्वर की लाठी बेआवज पड़ती है....सुंदर लिखा, सत्य लिखा
ReplyDeleteकुदरत ने इंसान को इतनी अकल दी है ।
ReplyDeleteउस अकल से उस ने कुदरत बदल दी है ।
इसलिए इंसान पे कुदरत का कहर बरपा है ।
और अब इंसान जानवर की तरह् लगता है ।
bhart ko polynd,iiraak,mleshiya,u.n.e.,iiran,chiin se sbk lenii hoii ?
ReplyDeleteकुदरती इन्साफ बड़ी ही भयावह होती है क्योंकि वो धैर्य की चरम सीमाओं को तोड़कर आती है !
ReplyDeleteबहुत उम्दा विचार।
एकदम सही बात.... एक अत्यंत सार्थक रचना !!!
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा परी। धन्यवाद
ReplyDeletebs is insaaf ka hi ykeen hai...sarthak rachanaa
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