Monday, December 29, 2014

चलो! सुलह कर लेते हैं !!


जला कर प्यार की माचिस
झोंक देते हैं
अहम का तिनका-तिनका इसकी लौ में
सर्द मौसम में अलाव जला लेते हैं
चलो रिश्ते की ठण्ड मिटा देते हैं

कुछ जो तुझे मुझसे है कुछ मुझे तुझसे है
चलो मन के आसमान से
शिकायत की सारी धुंध हटा देते हैं
आ पहन लेते हैं लिबास यकीन का
जेहन से शक की कंपकंपी उतार देते हैं 

लौटता नहीं वक़्त जाने के बाद कभी
जो अपने पास है वो लम्हा संवार लेते हैं
कसमे-वादो की गर्म हवा से
सपनो की वादियों में फिर से फूल खिला देते हैं  

चलो! सुलह कर लेते हैं !!

© परी ऍम. 'श्लोक'

15 comments:

  1. bahut khoob pari ji...umda lekhan

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  2. ।। अति सुन्दर ।।

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  3. As usual...beautiful post with tender words.
    Keep it up, its always a pleasure to read your work.

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  4. बहुत ही बढ़िया , गुजर लम्हा लौटकर आता नहीं , चलो आने वाले कल को संवार लेते हैं।

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  5. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (30-12-2014) को "रात बीता हुआ सवेरा है" (चर्चा अंक-1843) "रात बीता हुआ सवेरा है" (चर्चा अंक-1843) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  6. लाजवाब रचना परी जी।


    सादर

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  7. कुछ जो तुझे मुझसे है कुछ मुझे तुझसे है
    चलो मन के आसमान से
    शिकायत की सारी धुंध हटा देते हैं
    आ पहन लेते हैं लिबास यकीन का
    जेहन से शक की कंपकंपी उतार देते हैं
    पहले पैराग्राफ से ही आपकी कविता मन खींच लेती है लेखिका जी ! आगे जाओ तो कहीं पीछे छूट कुछ रिश्तों की याद आ जाती है !! बहुत ही सुन्दर रचना

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  8. लौटता नहीं वक़्त जाने के बाद कभी
    जो अपने पास है वो लम्हा संवार लेते हैं
    कसमे-वादो की गर्म हवा से
    सपनो की वादियों में फिर से फूल खिला देते हैं
    चलो! सुलह कर लेते हैं !!
    ..बहुत सुन्दर ...

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  9. आदरणीया परी जी,
    चलो! सुलह कर लेते हैं !!
    सुन्दर रचना! साभार!
    धरती की गोद

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  10. बहुत ही सुन्दर रचना..

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  11. वाह - वाह बहुत खूब.... पर काश ऐसा हो पाता.......

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  12. कितना खूबसूरत जज्बा है ! समर्पण और प्यार की इंतहा ! इस भावना की कद्र करने वाला भी तो होना चाहिए ! बहुत सुन्दर रचना !

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  13. rishton k bich ahm.....na ji na..
    glti ko pahachanna or manna..rishton ka sthayitv..
    sundar rachana

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